जहां हनुमानजी को संजीवनी बूटी मिली थी वो फूलों की घाटी धरोहर, आज से पर्यटकों के लिए खोल दी गई है

'फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान' भी कहते हैं। इसका एक नाम इसे हिमालय क्षेत्र की पिंडर घाटी या पिंडर वैली भी है।

Update: 2022-06-01 05:34 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चमोली, उत्तराखंड. प्रकृति के खूबसूरत रंगों को नजदीक से देखने वालों का इंतजार खत्म हुआ। उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित फूलों की घाटी (Valley of Flowers) 1 जून से खोल दी गई है। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थली(world heritage site) घोषित है। फूलों की घाटी सिर्फ जून की शुरुआत से अक्टूबर तक ही ओपन रहती है। फूलों की घाटी गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है। यह चारों तरफ से हिमालय से घिरी हुई है। यह एक राष्ट्रीय उद्यान(National Park) है, जिसे 'फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान' भी कहते हैं। इसका एक नाम इसे हिमालय क्षेत्र की पिंडर घाटी या पिंडर वैली भी है।

600 तरह के फूल होते हैं यहां
फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजातियों के खूबसूरत फूल होते हैं। इनमें एनीमोन, जेरेनियम, प्राइमुलस, ब्लू पॉपी और ब्लूबेल जैसी दुर्लभ प्रजातियां भी शामिल हैं। यहां आपको ब्रह्म कमल भी दिख जाएगा। घाी में पक्षियों, तितलियों और जानवरों की भी काफी संख्या। यहां ट्रैकिंग 31 अक्टूबर से पहले तक की जा सकती है। फूलों की घाटी वो जगह है, जहां रिसर्च, आध्यात्म, शांति और प्रकृति(Research, Spirituality, Peace and Nature) को करीब से जानने का अद्भुत अवसर मिलता है। यहां घूमने का सही समय जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक है। इस दौरान मानसून की पहली बारिश के बाद यहां के फूल पूरी तरह खिल उठते हैं।
यहीं से हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर गए थे
फूलों की घाटी को नेशनल पार्क का दर्जा 1982 में मिला था। इसे स्थानिक अल्पाइन फूलों( endemic alpine flowers) यानी किसी विशेष जगहों पर और ऊंचे पहाड़ों पर उगने वाले पौधे और वनस्पतियों की विविधता(variety of flora) के लिए जाना जाता है। इसका जिक्र रामायण और महाभारत में भी है। कहते हैं कि यहीं से हनुमान जी लक्ष्मण जी की जान बचाने संजीवनी बूटी लेकर गए थे। यानी यहां कई किस्म की दुर्लभ जड़ी-बूटियां भी उगती हैं। फूलों की घाटी करीब 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है।


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