जनता से रिश्ता वेबडेस्क। ज्योतिष: हिंदू धर्म में व्रत त्योहारों के बेहद ही खास माना गया है वही हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ पूर्णिमा के दिन कोकिला व्रत रखा जाता है यह व्रत आषाढ़ पूर्णिमा से आरंभ होकर श्रावण मास की पूर्णिमा को समाप्त हो जाता है यह व्रत विवाहित महिलाएं और कुमारी कन्याओं के लिए बेहद ही खास होता है
मान्यता है कि जो भक्त कोकिला व्रत रखता है और देवी सती व भगवान शिव शंकर की विधि अनुसार पूजा करता है उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है इस साल कोकिला व्रत 13 जुलाई दिन बुधवार को रखा जाएगा। तो आज हम आपको कोकिला व्रत की पूजन विधि और महत्व के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए कोकिला व्रत का महत्व—
कोकिला व्रत के दिन महिलाएं विधि विधान से देवी मां सती और भगवान भोलेनाथ की आराधना करती है कहा जाता है कि जो भी शादीशुदा महिला इस दिन उपवास रखती है उन्हें अखंड सौभाग्य होने का आशीर्वाद प्राप्त होता है वही कुंवारी कन्याएं अगर यह व्रत करती है तो उन्हें मनचाहा वर की प्राप्ति होती है।
जानिए कोकिला व्रत की पूजन विधि—
आपको बता दें कि कोकिला व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपने दैनिक कार्यों को पूरा करके स्नान करें फिर मंदिर में भगवान भोलेनाथ और देवी मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करे उनकी पूजा आराधना करें। भगवान को पंचामृत से अभिषेक करके गंगाजल अर्पित करें। पूजा में सफेद व लाल रंग के पुष्प, बेलपत्र, दूर्वा, गंध, धूप, दीपक आदि का उपयोग करें। इस दिन निराहार उपवास रखा जाता है सूर्यास्त के बाद पूजा आराधना करके ही फलाहार ग्रहण किया जाता है इस दिन महिलाएं ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन को भी शांत बनाएं रखें।