Kokila Vrat : हर वर्ष आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि पर कोकिला व्रत रखा जाता है। यह पर्व भगवान शिव एवं मां पार्वती को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को विवाहित महिलाएं और अविवाहित लड़कियां करती हैं। धार्मिक मत है कि कोकिला व्रत करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। वहीं, भगवान शिव की कृपा से लड़कियों की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही मनचाहा वर मिलता है। सामान्य जन भी इच्छा पूर्ति के लिए कोकिला व्रत करते हैं। आइए, कोकिला व्रत की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ पूर्णिमा तिथि 20 जुलाई को भारतीय समयानुसार सुबह 5 बजकर 59 मिनट पर शुरू होगी। भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। इसके लिए 20 जुलाई को कोकिला व्रत रखा जाएगा। व्रती 20 जुलाई को कोकिला व्रत कर सकती हैं। वहीं, आषाढ़ पूर्णिमा 21 जुलाई को है।
योग
कोकिला व्रत के दिन रवि योग दिन भर है। वहीं, भद्रावास संध्याकाल से है। ज्योतिषियों की मानें तो रवि योग 20 जुलाई को भारतीय समयानुसार 05 बजकर 36 मिनट से शुरू होगा। वहीं, इसका समापन 21 जुलाई को देर रात 01 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस दिन नक्षत्र पूर्वाषाढ़ा है।
पूजा विधि
आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करें। साथ ही घर की साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें और आचमन कर व्रत संकल्प लें। इस समय सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पूजा गृह में एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर शिव परिवार की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब पंचोपचार कर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करें। इस समय भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फल, फूल आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के दौरान शिव चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। अंत में आरती कर अपनी मनोकामना शिव परिवार से करें। मनोकामना अनुसार दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में पूजा-आरती कर फलाहार करें।