Shani : कर्क राशि के कब मिलेगी शनि की ढैय्या से मुक्ति इन उपायों से पाएं निजात

Update: 2024-06-25 08:03 GMT
Shani :   राशि चक्र की चौथी राशि कर्क है। इस राशि के स्वामी मन के कारक चंद्रमा हैं और राशि आराध्य देवों के देव God of the zodiac signs महादेव हैं। इस राशि के लिए शुभ रंग दूधिया और दिन सोमवार है। वर्तमान समय में देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि के जातकों के आय भाव में विराजमान हैं। इस राशि में गुरु उच्च के होते हैं। इसके लिए कर्क राशि के जातकों को हमेशा शुभ फल प्रदान करते हैं। साथ ही देवों के देव महादेव की कृपा भी कर्क राशि के जातकों पर बरसती है। वर्तमान समय में कर्क राशि के जातक शनि की ढैय्या से पीड़ित हैं। इसके चलते कर्क राशि के जातकों को उनके जीवन में उतार-चढ़ाव
 ups and downs in life
 देखने को मिल रहा है। ज्योतिषियों की मानें तो शनि की ढैय्या के दौरान व्यक्ति को जीवन में कभी-कभार विषम परिस्थिति से भी गुजरना पड़ता है। अगर आप भी कर्क राशि के जातक हैं, तो आइए जानते हैं कि कब कर्क राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मुक्ति मिलने वाली है? शनि की ढैय्या
ज्योतिष शास्त्रों में निहित है जातक शनि की ढैय्या से कुल मिलाकर ढाई साल तक पीड़ित रहते हैं। इस दौरान जातक को कर्मों के अनुरूप फल प्राप्त होता है। वर्तमान समय में शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान हैं। इसके लिए मकर, कुंभ और मीन राशि के जातक साढ़े साती से पीड़ित हैं। वहीं, कर्क और वृश्चिक राशि के जातक शनि की ढैय्या से पीड़ित हैं।
कब मिलेगी मुक्ति ?
ज्योतिष गणना के अनुसार वर्तमान समय में शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान हैं। इस राशि में शनिदेव आगामी वर्ष 28 मार्च तक रहेंगे। इसके अगले दिन यानी 29 मार्च, 2025 को शनिदेव कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे। न्याय के देवता शनिदेव इस राशि में 2 जून, 2027 तक रहेंगे। शनिदेव के राशि परिवर्तन से न केवल मकर राशि के जातकों को साढ़े साती से मुक्ति मिलेगी, बल्कि कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को शनि की ढैय्या से भी मुक्ति मिलेगी। आसान शब्दों में कहें तो कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को 29 मार्च,
2025
को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल जाएगी।
शनि के उपाय Remedies for Saturn
न्याय के देवता शनिदेव के आराध्य देवों के देव महादेव हैं। भगवान शिव की पूजा करने से शनिदेव की कृपा अवश्य बरसेगी। अत: कर्क राशि के जातक नित प्रतिदिन स्नान-ध्यान कर विधि-विधान से भगवान शिव एवं मां पार्वती की पूजा करें।
इस समय कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करें। जातक शुद्ध घी, पंचामृत, दही, शहद, गंगाजल आदि पूजनीय पदार्थ से भी अभिषेक कर सकते हैं। कुंडली में शनि दोष को दूर करने के लिए गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें। शनिवार के दिन तामसिक भोजन न करें और न ही किसी को सताएं या किसी का दिल दुखाएं। इन उपायों को करने से शनिदेव की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।
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