मोक्षदा एकादशी व्रत का पारण कब करना है और इसका महत्व क्या है?

हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है

Update: 2021-12-07 12:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन ही हर वर्ष गीता जयंती (Geeta Jayanti) भी मनाई जाती है. मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना की जाती है और व्रत रखा जाता है. पूजा मुहूर्त में भगवान विष्णु की पूजा वि​धिपूर्वक करते हैं और मोक्षदा एकादशी व्रत कथा का पाठ करते हैं. आइए जानते हैं कि मोक्षदा एकादशी कब है, उसकी तिथि क्या है, पारण कब करना है और इसका महत्व क्या है?

मोक्षदा एकादशी 2021 तिथि
पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 13 दिसंबर दिन सोमवार को रात 09 बजकर 32 मिनट से हो रहा है. एकादशी तिथि अगले दिन 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट तक है. व्रत के लिए उदयातिथि ही मान्य होती है, इसलिए मोक्षदा एकादशी का व्रत 14 दिसंबर दिन मंगलवार को रखा जाएगा.
सर्वार्थ सिद्धि योग में है मोक्षदा एकादशी
मोक्षदा एकादशी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 07 बजकर 06 मिनट से अगले दिन 15 दिसंबर को प्रात: 04 बजकर 40 मिनट तक है. इस समय काल में ही अमृत सिद्धि योग भी बन रहा है.
मोक्षदा एकादशी 2021 पारण समय
जो लोग 14 ​दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखेंगे, उनको व्रत का पारण 15 दिसंबर को प्रात: 07 बजकर 06 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट के बीच कर लेना चाहिए.
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मोक्षदा एकादशी का अर्थ है मोक्ष प्रदान करने वाली एकादशी. इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है. आप इस एकादशी के पुण्य लाभ को अपने पितरों को अर्पित करके उनको मोक्ष दिलाने का प्रयास कर सकते हैं. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है.


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