जब राजपरिवार की महिला के हार पर पड़ी भगवान बुद्ध की पावन दृष्टि

Update: 2023-06-21 18:41 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | राजपरिवार की विशाखा अपनी सेविका सुप्रिया के साथ श्रावस्ती के बिहार में भगवान बुद्ध के दर्शन के लिए पहुंची। वह अत्यंत मूल्यवान हीरे-जवाहरात जड़ा स्वर्णाभूषण गले में धारण किए हुए थी। बुद्ध के समक्ष पहुंचने से पूर्व उसने गले से आभूषण निकाला और सेविका को देते हुए बोली, ‘‘इसे कहीं रख दो। दर्शन के बाद पुनः: धारण कर लेंगे। भगवान के समक्ष वैभव का प्रदर्शन अनुचित होगा।’’ सुप्रिया ने आभूषण एक झाड़ी में रख दिया।उपदेश सुनते-सुनते विशाखा तन्मय हो उठी। लौटते समय उसे ध्यान ही नहीं रहा कि कीमती आभूषण झाड़ी में से उठाना है।

कुछ समय बाद बुद्ध के शिष्य आनंद भ्रमण के लिए निकले, तो उन्होंने झाड़ी में कीमती हार पड़ा देखा। वह समझ गए कि यह हार विशाखा का हो सकता है। उन्होंने उसे बुद्ध के सामने रख दिया।द्ध ने आदेश दिया, ‘‘इसे वापस कर दो।’’

आनंद ने विशाखा को स्वर्णाभूषण लौटाने एक भिक्षु को महल में भेजा।

विशाखा ने उत्तर दिया, ‘‘यह हार भगवान बुद्ध की पावन दृष्टि से पवित्र हो चुका है। अब इसका उपयोग मेरे शरीर के लिए नहीं होगा। इसे बेचकर प्राप्त हुए धन का सदुपयोग जनहित के कार्यों पर किया जाए।’’

भगवान बुद्ध एक महिला की दानवृत्ति देखकर गद्गद हो उठे।

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