सनातन धर्म में वैसे तो कई व्रत पड़ते हैं लेकिन इन सभी में एकादशी का व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित होता हैं। एकादशी की तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक मानी जाती हैं और एकादशी का व्रत सभी व्रतों में श्रेष्ठ बताया गया हैं।
मान्यता है कि इस दिन उपवास रखते हुए प्रभु की भक्ति की जाए तो साध के सभी कष्टों का अंत हो जाता है साथ ही सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैं। एकादशी का व्रत हर माह के दोनों पक्षों में किया जाता हैं अभी आषाढ़ का महीना चल रहा हैं और इस माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन विष्णु के निमित्त योगिनी एकादशी का व्रत किया जाएगा।
जो कि इस बार 14 जून दिन बुधवार को पड़ रहा हैं। कहते हैं कि योगिनी एकादशी का व्रत करने से साधक की सभी कामनाओं को श्री हरि पूर्ण करते हैं साथ ही उसे मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती हैं इस दिन व्रत पूजन से चर्म रोगों से भी मुक्ति मिल जाती हैं तो आज हम आपको योगिनी एकादशी से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
आपको बता दें कि योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ की भी पूजा का विधान होता हैं मान्यता है कि इस दिन उपवास रखते हुए भगवान विष्णु और पीपल के वृक्ष की विधिवत पूजा करने से से साधक को उत्तम फलों की प्राप्ति होती हैं साथ ही साथ इस व्रत को करने से साधक को 88 हजार ब्राह्मणों के भोजन कराने जितना फल मिलता हैं। एकादशी की तिथि पर चावल का सेवन अच्छा नहीं माना जाता है इसके अलावा इस दिन किसी भी तरह के अपशब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए ना ही मन में बुरे विचार लगाने चाहिए। एकादशी के दिन क्रोध करने से सभी बचना चाहिए वरना व्रत पूजन का फल नहीं मिलता हैं।