कब है विनायक चतुर्थी, जानें क्या है पूजा मुहूर्त?

Update: 2022-11-23 09:19 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।  विनायक चतुर्थी अब नजदीक है. दिनांक 26 नवंबर 2022 दिन शनिवार को मार्गशीर्ष माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ही विनायक चतुर्थी कहा जाता है. इस दिन व्रत रखने का विशेष महत्त्व है. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की पूजा दोपहर 12 बजे से पहले कर लेना चाहिए. वहीं इस दिन चंद्रमा को देखना अशुभ होता है. इसलिए इस दिन चंद्रमा भूलकर भी ना देखें. इससे आप पर झूठे आरोप लगने की संभावना होती है. तो ऐसे में आइए जानते हैं कि विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त क्या है, कौन से दो शुभ योग बनने जा रहे हैं, इस दौरान चंद्रोदय का समय क्या है? ये सब हम आपको बताएंगे.

कब है विनायक चतुर्थी, क्या है पूजा मुहूर्त?

हिंदू पंचांग में मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि दिनांक 26 नवंबर 2022 को शाम 07:28 से शुरू हो रही है और अगले दिन यानी की दिनांक 27 नवंबर 2022 को शाम 04:25 तक रहेगी. ऐसे में इसका उदय तिथि दिनांक 27 नवंबर 2022 को माना जाएगा और इसका व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा.

पूजा मुहूर्त क्या है ?

जो उदय तिथि यानी की दिनांक 27 नवंबर 2022 को व्रत रख रहे हैं, वे सुबह 11:06 मिनट से लेकर दोपहर 01:12 से पहले भगवान गणेश की पूजा कर लें. यह उदय तिथि का सबसे शुभ मुहूर्त है.

विनायक चतुर्थी के दिन कौन से बन रहे हैं दो शुभ योग

आपको बता दें विनायक चतुर्थी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बनने जा रहा है. इस योग में कोई भी मांगलिक कार्य करना सबसे शुभ माना जाता है.

- दिनांक 27 नवंबर 2022 (रवि योग) - सुबह 06:53 से लेकर दोपहर 12:38 मिनट तक रहेगा.

- दिनांक 28 नवंबर 2022 (सर्वार्थ सिद्धि योग)- दोपहर 12: 38 मिनट से लेकर अगले दिन यानी की 28 नवंबर 2022 को सुबह 06:54 मिनट तक रहेगा.

चंद्रोदय का समय कब है?

विनायक चतुर्थी के दिन मान्यता है कि इस दिन रात में चंद्रमा नहीं देखना चाहिए, इससे आप पर झूठा आरोप लग सकता है. बता दें, चंद्रोदय का समय सुबह 10:28 मिनट पर होगा और चंद्रास्त रात 08:49 मिनट पर होगा. इस व्रत में चंद्रमा भूलकर भी ना देखें.

विनायक चतुर्थी का क्या है महत्त्व?

इस दिन भगवान गणेश की अराधना कर व्रत रखें, इससे घर में सुख-सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है और आपके जीवन में कोई बाधा नहीं आएगी. इस दिन इनकी विधिवत पूजा करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होगी.

 इस मंत्र का करें जाप

ॐ हुं गं ग्लौं हरिद्रा गणपत्ये वरद वरद सर्वजन हृदये स्तम्भय स्वाहा, ॐ ग्लौं गं गणपतये नमः इस मंत्र का 51 बार जाप करें.

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