कब है आश्विन मास का पहला सोम प्रदोष व्रत.....जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है. ये दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. मान्यता है कि इस दिन पूजा पाठ करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

Update: 2021-09-26 04:28 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) का विशेष महत्व होता है. ये दिन शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. प्रदोष व्रत के फल और नाम सप्ताह के अनुसार होता है. मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.

इस बार आश्विन मास का प्रदोष व्रत सोमवार को पड़ रहा है इसलिए उस दिन को सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इसलिए ये सोम प्रदोष व्रत बेहद फलदायी माना जाएगा. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना होती है. आइए जानते हैं सोम प्रदोष व्रत के दिन पूजा पाठ करने के लिए कौन सा समय शुभ है.
सोम प्रदोष व्रत महत्व
सोम प्रदोष व्रत का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन भक्त विधि- विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करते हैं. इस व्रत को करने से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. इस दिन व्रत करने से धन और यश का लाभ होता है. इसके अलावा इस दिन चंद्रमा की पूजा करना चाहिए. इस दिन पूजा करने से चंद्र ग्रह से संबंधित दोष से छुटकारा पा सकते हैं.
सोम प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी का प्रदोष व्रत 04 अक्टूबर 2021 को है. इस दिन सोमवार का दिन पड़ रहा है. आश्विन मास की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 03 अक्टूबर रविवार की रात को 10 बजकर 29 मिनट से प्रारंभ होगा. आश्विन मास की त्रयोदशी तिथि समाप्त 04 अक्टूबर 2021 को सोमवार रात 09 बजकर 05 मिनट तक रहेगा. सोम प्रदोष व्रत का प्रदोष काल में करना शुभ होता है. प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त- 04 अक्टूबर शाम को 06 बजकर 04 मिनट से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
सोम प्रदोष विधि के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान करें और शिव जी के सामने दीपक प्रज्वलित कर व्रत का संकल्प करें. इसके बाद भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, घी, गंगाजल का अभिषेक करें. प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय में पूजा अर्चना करें. इस दिन शिवजी के साथ माता पार्वती की पूजा होती है.


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