आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है , जानें शु महत्व और पूजा विधि

प्रदोष व्रत हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है.

Update: 2021-06-26 12:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | प्रदोष व्रत हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. ये दिन शिव भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है. शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत का नाम और महत्व पड़ने वाले दिन के हिसाब से होता है. आषाढ़ महीना के पहला प्रदोष व्रत 7 जुलाई 2021 को बुधवार के दिन पड़ रहा है. बुधवार के प्रदोष को बुध प्रदोष व्रत भी कहा जाता है. कहते हैं भोलेनाथ अपने भक्तों की भक्ति देखकर सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं. देवों के देव महादेव मनुष्य, राक्षस, भूत- पिशाच, यक्ष आदि के आराध्य हैं. आइए जानते हैं प्रदोष व्रत की तिथि, महत्व और पूजा विधि

प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत आरंभ- 7 जुलाई रात 01 बजकर 2 मिनट पर होगा
प्रदोष व्रत समापन – 8 जुलाई 2021 को सुबह 3 बजकर 20 मिनट पर रहेगा.
भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 07 बजकर 12 मिनट से 09 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
प्रदोष व्रत पूजा विधि
शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. प्रदोष व्रत के दिन सुबह – सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत करने का संकल्प लेना चाहिए. इस दिन श्रद्धालु निर्जल या फलाहार व्रत रखते हैं. भगवान शिव को भांग, धतूरा, बेलपत्र, फूल और जल का अभिषेक करना चाहिए. माता पार्वती को पूजा के समय लाल चुनरी और सुहाग के श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए. शिव पार्वती की विधि विधान से पूजा करने से परिवार के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.
प्रदोष व्रत महत्व
मान्यता है कि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव प्रसन्न होकर कैलाश में तांडव करते हैं और सभी देवी -देवता उनकी स्तुति करते हैं. इसलिए प्रदोष व्रत के दिन विधि- विधान से पूजा और व्रत रखने से भोलेनाथ आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में होती है. इस दिन व्रत रखने से भोलनाथ आपके सभी कष्टों को दूर करते है. साथ ही घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है.


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