कब है स्कंद षष्ठी व्रत, जानिए पूजा मुहूर्त और महत्व

प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ये दिन माता पार्वती और भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय की आरधना के लिए समर्पित है

Update: 2022-06-02 08:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ये दिन माता पार्वती और भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय की आरधना के लिए समर्पित है। स्कंद षष्ठी व्रत के दिन भगवान कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा अर्चना की जाती है। भगवान कार्तिकेय शिव जी और माता पार्वती के ज्येष्ठ पुत्र हैं। कहा जाता है कि वे षष्ठी तिथि और मंगल ग्रह के स्वामी हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की विधि-विधान से पूजा करने से जीवन की हर तरह की बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही इस दिन व्रत रखने वालों को सुख और वैभव की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि संतान के कष्टों को कम करने और उसके सुख की कामना के लिए ये व्रत किया जाता है। आइए जानते हैं कब रखा जाएगा स्कंद षष्ठी व्रत और पूजा विधि के बारे में...

स्कंद षष्ठी 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 05 जून दिन रविवार को प्रात: 04 बजकर 52 मिनट पर हो रही है। ये तिथि 06 जून सोमवार को प्रात: 06 बजकर 39 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार 05 जून को स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाएगा।
स्कंद षष्ठी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, स्कंद षष्ठी के दिन रवि योग प्रात: 05 बजकर 23 मिनट से शुरू होकर रात 12 बजकर 25 मिनट तक है। ऐसे में स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा प्रात:काल से शाम तक कभी भी कर सकते हैं। इसके अलावा इस दिन का शुभ समय दिन में 11 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक है।
स्कंद षष्ठी व्रत विधि
स्कंद षष्ठी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद स्नान-ध्यान कर सर्वप्रथम व्रत का संकल्प लें।
फिर पूजा घर में मां गौरी और शिव जी के साथ भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा को स्थापित करें।
पूजा जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि से करें। इसके बाद अंत में आरती करें।
वहीं शाम को कीर्तन-भजन पूजा के बाद आरती करें।
भगवान कार्तिकेय की पूजा का मंत्र
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव।
कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
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