कब है फुलेरा दूज? जानिए क्यों राधा रानी के पैरों का श्रीकृष्ण ने पिया था चरणामृत

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है

Update: 2021-02-27 03:18 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाई जाती है। इस साल फुलेरा दूज 15 मार्च 2021 (सोमवार) को है। फुलेरा दूज के दिन ही राधा-कृष्ण के प्रेम को गोपियों ने फूल बरसाकर स्वीकृति मिली थी। इस दिन मंदिरों में राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है। एक बार श्री कृष्ण ने राधा रानी के पैरों का चरणामृत भी पी लिया था। जानिए आखिर ऐसा क्यों किया था-

पौराणिक कथा के अनुसार, द्वापर युग में एक बार भगवान श्रीकृष्ण बहुत ज्यादा बीमार पड़ गए थे। सभी दवा और जड़ी बूटियां श्रीकृष्ण पर बेअसर हो रही थीं। जिसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों को एक बताया था। जिसे सुनकर गोपियां चकित हो गईं। भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों से चरणामृत पिलाने के लिए कहा। भगवान श्रीकृष्ण का मानना था कि जो उनके परम भक्त या जो उनसे सबसे ज्यादा प्रेम करता हो उसके पांव को धोने वाले जल को ग्रहण करने से वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे।
दूसरी ओर गोपियां को इस उपाय के निष्फल होने की चिंता सता रही थी। गोपियों के मन में बार-बार आ रहा था कि अगर उन्होंने अपने पांव का चरणामृत श्रीकृष्ण को पीने के लिए दिया तो वह परम भक्त का कार्य कर देंगी। लेकिन अगर कान्हा ठीक नहीं हुए तो उन्हें नर्क भोगना पड़ेगा। तभी इस दौरान वहां राधा रानी आ जाती हैं। श्रीकृष्ण की हालत देखकर वह गोपियों से उपाय पूछती हैं तो गोपियां श्रीकृष्ण के द्वारा बताया गया उपाय बता देती हैं। राधा जी फौरन पांव धोकर उसका चरणामृत तैयार कर भगवान श्रीकृष्ण को पिलाने के लिए आगे बढ़ जाती हैं।

राधा यह अच्छी तरह से जानती थीं कि वह क्या कर रही हैं। जो बात अन्य गोपियों के लिए भय का कारण थी वही भय राधा को भी था।लेकिन भगवान श्री कृष्ण को वापस स्वस्थ करने के लिए वह नर्क जाने के लिए भी तैयार थीं। जिसके बाद राधा जी ने अपने पांव का चरणामृत श्री कृष्ण को दिया और कृष्ण जी ने वह चरणामृत ग्रहण कर लिया।जिसके बाद वह स्वस्थ हो गए। राधा ही वह थीं जिनके प्यार एवं सच्ची निष्ठा से श्री कृष्ण तुरंत ही स्वस्थ हो गए।
राधा जी अच्छी तरह से जानती थीं कि वह क्या कर रही हैं। लेकिन गोपियों को भय सता रहा था। लेकिन राधा जी श्रीकृष्ण को स्वस्थ करने के लिए नर्क भोगने के लिए भी तैयार थीं। राधा जी ने अपने पांव का चरणामृत श्रीकृष्ण को दिया। जिसे पीकर वह स्वस्थ हो गए।


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