कब हैं चैत्र मास की पापमोचिनी एकादशी,जानें क्यों है खास
एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि काफी खास मानी जाती है। इसे पापमोचिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है। इस बार ये व्रत 07 अप्रैल को रखा जाएगा। इस खास दिन पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साल में कुल 24 या 25 एकादशी पड़ती हैं।
महत्व: कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने खुद अर्जुन को पापमोचिनी एकादशी का महत्व बताते हुए कहा था कि जो भी व्यक्ति ये व्रत रखता है उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है और अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है।
पूजा विधि: एकादशी व्रत रखने वाले सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं और स्नान कर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और भगवान को धूप, दीप, चंदन और फल अर्पित करें। व्रत कथा सुनें और भगवान की आरती उतारें। इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन जरूर कराएं। इस दिन रात्रि भर जागरण करना उत्तम माना जाता है। व्रत रखने वाले अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए। ये व्रत अगले दिन द्वादशी तिथि पर खोला जाता है। व्रत खोलने से पहले विष्णु भगवान की पूजा करें और किसी ब्राह्मण को भोजन करा दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
पापमोचनी एकादशी व्रत मुहूर्त:
पापमोचनी एकादशी व्रत पारणा मुहूर्त- 01:39 PM से 04:11 PM (8 अप्रैल)
पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय- 08:40 AM
एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहा जाता है। इस व्रत को अगले दिन द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद खोला जाता है। ध्यान रखें कि एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले कर लेना चाहिए। यदि कभी द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है तो भी एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है।