Mokshda Ekadashi : 22 या 23 तारीख को कब है मोक्षदा एकादशी? जानें

मोक्षदा एकादशी : सभी व्रतों में मोक्षदा एकादशी का व्रत सहित विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. दरअसल, एकादशी तिथि सूर्योदय के बाद शुरू होती है और अगले …

Update: 2023-12-19 01:49 GMT

मोक्षदा एकादशी : सभी व्रतों में मोक्षदा एकादशी का व्रत सहित विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस बार एकादशी की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. दरअसल, एकादशी तिथि सूर्योदय के बाद शुरू होती है और अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होती है। ऐसे में उदया तिथि को मानने वालों को एकादशी तिथि नहीं मिलती है. कुछ लोग 23 दिसंबर को भी एकादशी मनाते हैं। दरअसल, सूर्योदय के समय पड़ने वाली तिथि उदया तिथि कहलाती है और पूरे दिन मान्य रहती है। इसके अलावा, संबंधित वैट द्वारा बताए गए दिन पर उपवास रखा जा सकता है। इस दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।

आचार्य रामाकांत पाठक ने बताया कि सनातन पंचांग के अनुसार मोक्षदा एकादशी 22 दिसंबर को है। इस तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।

यह पर्व हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत-उपवास रखा जाता है। धार्मिक मत है कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की उपासना करने से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। भगवान कृष्ण के मुख से मार्गशीर्ष की मोक्षदा एकादशी को गीता का ज्ञान प्रकट हुआ। उन्होंने कहा कि विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय के किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। सनातन हिंदू धर्म में भी केवल गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है।

एकादशी तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 22, 2023 को 08:16 ए एम बजे

एकादशी तिथि समाप्त - दिसम्बर 23, 2023 को 07:11 ए एम बजे

23 दिसम्बर को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 01:22 पी एम से 03:26 पी एम

23 दिसम्बर को पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - 12:59 पी एम

मोक्षदा एकादशी कब है- इस साल मोक्षदा एकादशी का व्रत 22 और 23 दिसंबर दो दिन रखा जाएगा। 22 दिसंबर को गृहस्थ जन व्रत रखेंगे और 23 दिसंबर को वैष्णव जन व्रत रखेंगे।

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