मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है? जानें पूजन शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और उपाय
ज्योतिष शास्त्र में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है। साल की आखिरी पूर्णिमा के दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, …
ज्योतिष शास्त्र में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का विशेष महत्व है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है। साल की आखिरी पूर्णिमा के दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख, समृद्धि और शांति मिलती है। तो हमारे साथ साझा करें मार्गशीर्ष पूर्णिमा पूजा का शुभ समय, पूजा विधि और उपाय।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब?
हर साल मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन ही साल की आखिरी पूर्णिमा पड़ती है। वहीं, 26 दिसंबर, मंगलवार के दिन सुबह 05 बजकर 46 मिनट से पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी, जो बुधवार, 27 दिसंबर के दिन सुबह 06 बजकर 02 मिनट तक रहने वाली है। उदयातिथि के अनुसार, साल की आखिरी पूर्णिमा यानि मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर को मान्य होगी और इसी दिन पूर्णिमा व्रत और दान-स्नान किया जाएगा।
पूर्णिमा पूजा-विधि
मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी नारायण की साथ में पूजा करनी चाहिए। इस दिन विष्णु भगवान को पीले रंग के फल, फूल और वस्त्र चढ़ाने चाहिए और लक्ष्मी माता को गुलाबी या लाल रंग के फूल और श्रृंगार का सामान चढ़ाना चाहिए। वहीं, मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण की कथा पढ़ना पुण्यदायक माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा तिथि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नदी में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है। वहीं, अगर आप नदी में स्नान नहीं कर सकते तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर घर में ही स्नान करें। मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखने और इस दिन लक्ष्मी नारायण की विधिवत पूजा करने से घर में सुख-संपत्ति और खुशहाली बनी रहती है।
पूर्णिमा शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 05:22 ए एम से 06:17 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 05:50 ए एम से 07:12 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 12:01 पी एम से 12:42 पी एम
विजय मुहूर्त- 02:05 पी एम से 02:46 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:29 पी एम से 05:56 पी एम
सायाह्न सन्ध्या- 05:31 पी एम से 06:53 पी एम
अमृत काल- 01:18 पी एम से 02:56 पी एम
निशिता मुहूर्त- 11:54 पी एम से 12:49 ए एम, दिसम्बर 27
चंद्रोदय समय- 04:45 पी एम
उपाय- पवित्र जल में कच्चा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्रदेव की कृपा सदैव बनी रहती है। इससे मानसिक सुख-शांति भी बनी रहती है।