कब है मकर संक्रांति, जानिए हिंदू धर्म में क्यों होता विशेष महत्व

मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इस साल ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं.

Update: 2021-01-04 10:38 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क |  मकर संक्रांति का त्योहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है. इस साल ये पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं. जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इस दिन सूर्यदेव की पूजा का विधान है. इस दिन लाखों श्रद्धालु गंगा और अन्य पावन नदियों के तट पर स्नान और दान करते हैं.

इस दिन से माघ मास का भी शुभारंभ हो जाता है. इस बार मकर संक्रांति का पुण्य काल आठ घंटे का रहेगा. 14 जनवरी की सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक मकर संक्रांति का पुण्य काल रहेगा. इस काल में किया गया स्नान और दान कई गुणा फल देता है. मकर संक्रांति पर ग्रहों का बहुत ही सुखकारी संयोग बन रहा है. चंद्रमा, शनि, बुध और गुरु ग्रह भी मकर राशि में संचरण करेंगे, यही वजह है कि मकर संक्रांति तिथि बहुत ही शुभफलदायी होगी.
इस दिन है मकर सक्रांति Makar Sankranti 2021 Date
मकर संक्रांति की तारीख हर साल एक ही दिन मनाई जाती है. इस साल 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी.
शुभ समय
इस बार मकर संक्रांति का पुण्य काल सुबह 8 बजकर 30 मिनट से शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा
मकर संक्रांति के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है. इस दिन खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन से सभी शुभ कार्यों पर लगा प्रतिबंध भी समाप्त हो जाता है. वहीं, उत्तर प्रदेश में इस पर्व पर खिचड़ी सेवन और खिचड़ी दान का अत्यधिक महत्व दिया जाता है.
जानिए इस दिन क्या करना चाहिए
-इस दिन सुबह जल्दी उठकर नदी में स्नान करना जरूरी होता है.
-नहाकर साफ वस्त्र पहनने होते हैं.
-एक साफ चौकी लेकर उस पर गंगाजल छिड़कें और लाल वस्त्र बिछाएं.
-चौकी पर लाल चंदन से अष्टदल कमल बनाएं.
-सूर्यदेव का चित्र या तस्वीर चौकी पर स्थापित करें.
-सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करें.
-सूर्यदेव को तिल और गुड़ से बने हुए लड्डुओं का भोग लगाएं.

मकर संक्रांति की परंपरा
मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ से बने लड्डू और अन्य मीठे पकवान बनाने की परंपरा है. साथ ही इसके पीछे यह महत्व भी है कि इस समय मौसम में काफी सर्दी होती है, तो तिल और गुड़ से बने लड्डू खाने से स्वास्थ्य ठीक रहता है.


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