माघ माह में कब है कालाष्टमी ? जानें तिथि, पूजा मुहूर्त और धार्मिक महत्व

मान्यता है कि काल भैरव भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु और मृत्यु के डर से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, व्यक्ति को सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है.

Update: 2022-01-21 16:32 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Kalashtasmi 2022 Vrat: हिंदू माह में आने वाली हर तिथि किसी न किसी देवता को समर्पित है. हर माह के कृष्ण पक्ष क अष्टमी को कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat 2022) रखा जाता है. इस व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) के अंशावतार काल भैरव भगवान (Kaal Bhairav Puja) की पूजा की जाती है. मान्यता है कि काल भैरव भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु और मृत्यु के डर से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, व्यक्ति को सुख-शांति और आरोग्य की प्राप्ति होती है.

कहते हैं कि काल भैरव भगवान तंत्र-मंत्र के देवता होते हैं. भगवान शिव (Lord Shiva) की नगरी काशी की रक्षा काल भैरव द्वारा ही की जाती है. एक दिन में कुल 12 कालाष्टमी व्रत (Kalashtami Vrat) होते हैं. इस साल माघ मास (Magh Month) में 25 जनवरी के दिन कालाष्टमी का व्रत किया जाएगा. आइए जानते हैं कालाष्टमी की तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व के बारे में.
कालाष्टमी 2022 तिथि और मुहूर्त (Kalashtami Tithi And Muhurat)
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 जनवरी, मंगलवार को प्रात: 07 बजकर 48 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि 26 जनवरी, बुधवार को प्रात: 06 बजकर 25 मिनट तक मान्य रहेगी. अतः साल का पहला कालाष्टमी व्रत 25 जनवरी को रखा जाएगा.
बता दें कि कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग और रवि योग का संयोग बन रहा है. 25 जनवरी की सुबह द्विपुष्कर योग प्रात: 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. वहीं रवि योग सुबह 07 बजकर 13 मिनट से सुबह 10 बजकर 55 मिनट तक होगा. वहीं, कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा.
कालाष्टमी व्रत का महत्व (Kalashtami Vrat Significance)
धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी का व्रत और पूजा करने से व्यक्ति को हर प्रकार के डर से मुक्ति मिलती है. इतना ही नहीं, भगवान की कृपा से रोग-व्याधि दूर होते हैं. काल भैरव भगवान अपने भक्तों की संकटों से रक्षा करते हैं. कहते हैं कि इनकी पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं और तंत्र-मंत्र का भी असर नहीं होता. मान्यता है कि काल भैरव की उत्पत्ति भगवान शिव से ही हुई है


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