कब है ज्येष्ठ अमावस्या, जानें शुभ मुहूर्त एवं महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन दान- पुण्य करना लाभदायक होता है. इस बार अमावस्या 10 जून को पड़ रही है.

Update: 2021-06-03 03:01 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क|  हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन दान- पुण्य करना लाभदायक होता है. इस बार अमावस्या 10 जून को पड़ रही है. इस अमावस्या को ज्येष्ठ अमावस्या कहा जाता है. इस अमावस्या का विशेष महत्व है. इस अमावस्या के दिन वट सावित्री, शनि जयंती जैसे त्योहार पड़ रहे हैं. इस दिन पूजा- पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण किया जाता है. आइए जानते हैं इस बार की अमावस्या क्यों है खास. जानिए इस दिन से जुड़ी विशेष बातों के बारे में.

ज्येष्ठ अमावस्या के दिन साल का पहला सूर्यग्रहण लगेगा जो दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से 06 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगा. हालांकि ये ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा.
ज्येष्ठ अमावस्या का शुभ मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ- दोपहर 01 बजकर 57 मिनट पर
अमावस्या तिथि समाप्त – शाम 04 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
पूजा विधि
अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. अगर आप पवित्र नदी में नहीं जा सकते है तो नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालें.
इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर तर्पण करें.
तांबे के बर्तन में जल, अक्षत, लाल फूल डालकर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें.
इस दिन पितरों की आत्मा के लिए पूजा करें और उपवास रखें. बाद में गरीबों और ब्राह्मण को दक्षिणा दें.
अमावस्या तिथि क्यों है खास
इस अमावस्या तिथि पर शनि जयंती और वट सावित्री की पूजा की जाती है. वट सावित्री की पूजा हर साल ज्येष्ठ महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं.
शनि जयंती
हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है. इस दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था. मान्यता है कि शनि जयंती के दिन विधि- विधान से पूजा करने से शनि दोष का प्रभाव कम हो जाता है. इस दिन पूजा-पाठ करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है. भगवान शनि भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र है.


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