चैत्र अमावस्या तिथि
चैत्र अमावस्या तिथि आरंभ: 31 मार्च, गुरुवार, दोपहर 12.22 पर
चैत्र अमावस्या तिथि समाप्त: 1 अपर, शुक्रवार प्रातः11.54 पर
इसलिए दोनों ही दिन अमावस्या तिथि मान्य रहेगी।
किस दिन होगा तर्पण कार्य
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार 31 मार्च, गुरुवार को अमावस्या तिथि दोपहर 12.22 बजे बाद शुरू होगी। इसलिए पितरों की शांति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध, तर्पण कार्य 31 मार्च को किए जा सकेंगे। अमावस्या से संबंधित पूजन आदि भी इसी दिन की जा सकती है।
स्नान-दान आदि 1 अप्रैल को
1 अप्रैल, शुक्रवार को अमावस्या तिथि सूर्योदय के बाद भी रहेगी इसलिए इस दिन गंगास्नान और दान करना श्रेष्ठ रहेगा। अगर किसी कारण नदी में स्नान करने न जा पाएं तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें। इससे भी तीर्थ स्नान का फल मिलता है।
चैत्र अमावस्या का महत्व
चैत्र अमावस्या वर्ष की पहली अमावस्या है और चैत्र के महीने या हिंदू कैलेंडर के पहले महीने में आती है। इस वर्ष चैत्र अमावस्या 31 मार्च और 1 अप्रैल, 2022 को पड़ने जा रही है। ऐसा माना जाता है कि चैत्र अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन से दर्द, संकट और नकारात्मकता को खत्म करने में मदद मिलती है। पुराणों में उल्लेख किया गया है कि इस शुभ दिन पर गंगा नदी में स्नान करने से आपके पापों और बुरे कर्मों का नाश होता है।अमावस्या तिथि पर भक्त अपने पूर्वजों के लिए श्राद्ध आदि भी करते हैं, ऐसा करने से पितृ दोष खत्म होता है।
चैत्र अमावस्या पर क्या करें
ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगास्नान या घर पर स्नानआदि करें। इसके उपरांत मंत्रों और श्लोकों का पाठ करते हुए सूर्य को अर्घ्य दें।
यदि संभव हो तो अमावस्या के दिन व्रत रखें।
जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र और गाय का दान करें।
श्राद्ध के बाद ब्राह्मण, गरीब, गाय, कुत्ते, कौवे और छोटे बच्चों को भोजन कराएं।
शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का मिट्टी का दीया रखें।
शनि मंदिर में नीले फूल, काले तिल, काले वस्त्र, उड़द की दाल और सरसों का तेल भी चढ़ा सकते हैं।
चैत्र अमावस्या पर उपवास करने से कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में शांति आती है।7 of 7
चैत्र अमावस्या पर उपवास करने से कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में शांति आती है। - फोटो : istock
चैत्र अमावस्या पर उपवास करने के लाभ
चैत्र अमावस्या पर उपवास करने से कई प्रकार की समस्याएं दूर होती हैं और जीवन में शांति आती है।
अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है।
चैत्र मास अमावस्या के दिन किसी बड़े ब्राह्मण को भोजन एवं दक्षिणा और यथा योग्य वस्त्र एवं धन दान करने से पितृ दोष कम होता है।