कब है भीष्म अष्टमी, जानिए इसकी शुभ मुहूर्त एवं महत्व

भीष्म अष्टमी को बेहद ही शुभ और भाग्यशाली तिथि माना गया है।

Update: 2021-02-02 04:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक |भीष्म अष्टमी को बेहद ही शुभ और भाग्यशाली तिथि माना गया है। इसी दिन भीष्टम पितामाह की मृत्यु हुई थी। यह तिथि उत्तरायण के समय आती है। यह वही तिथि है जिसे भीष्म पितमाह ने खुद अपना शरीर छोड़ने के लिए चुना था। जब वे युद्ध के मैदान में पराजित हुए थे तब वो उत्तरायण के दिन को ही अपने शरीर को राहत देने की प्रतीक्षा में तीरों के बिस्तर पर रहे थे। भीष्म पितामह को गंगा पुत्र भीष्म, शांतनवा और गौरांगा जैसे नामों से भी जाना जाता है। जानें भीष्म अष्टमी की तिथि और महत्व।

भीष्म अष्टमी का शुभ मुहूर्त:
19 फरवरी, शुक्रवार
मध्याह्न समय- सुबह 11 बजकर 27 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक
अवधि- 02 घंटे 16 मिनट
अष्टमी तिथि प्रारम्भ- 19 फरवरी, शुक्रवार को सुबह 10 बजकर 58 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त- 20 फरवरी, शनिवार दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक
भीष्म अष्टमी का महत्व:
भीष्म अष्टमी का महत्व अधिक माना गया है। यह भाग्यशाली दिन माना जाता है। इस दिन शुभ कार्य किए जा सकते हैं। अगर आप पितृ दोष खत्म करना चाहते हैं तो इसके लिए यह एक अहम दिन माना जाता है। इस दिन संतानहीन दंपत्ति भी व्रत करते हैं। मान्यता है कि इस दिन पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। यह भी माना जाता है कि अगर उन्हें इस विशेष दिन पर भीष्म पितामह का दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है तो उन्हें संतान प्राप्त होती है। यह संतान अच्छे चरित्र और उच्च आज्ञाकारिता वाली होती है।
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