हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में पड़ती हैं अभी भाद्रपद मास चल रहा है और इस महीने की अमावस्या को भाद्रपद अमावस्या के नाम से जाना जा रहा है जो कि पितरों को समर्पित होती है इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करना उत्तम माना जाता है।
मान्यता है कि भाद्रपद अमावस्या पर अगर पूर्वजों के निमित्त तर्पण, दान, पूजा पाठ किया जाए तो सात पीढ़ियों तक खुशहाली का आशीर्वाद मिलता है इसके अलावा कालसर्प दोष, पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। भाद्रपद अमावस्या को कुशोत्पतिनी अमावस्या, कुशग्रहणी अमावस्या और पिठोरी अमावस्या के नाम से जाना जाता है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भाद्रपद अमावस्या की सही तिथि और स्नान दान का मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
भाद्रपद अमावस्या की सही तारीख—
धार्मिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद अमावस्या तिथि का आरंभ 14 सितंबर को सुबह 4 बजकर 48 मिनट पर हो जाएगा। वही इसका समापन 15 सितंबर को सुबह 7 बजकर 9 मिनट पर हो रहा हैं। उदयातिथि के अनुसार 14 और 15 दोनों ही दिन अमावस्या का स्नान, पितरों के निमित्त पूजा की जाएगी।
इस दिन धर्म कर्म में प्रयोग होने वाली कुश घास को वर्षभर के लिए इकट्ठा करने की भी विशेष परंपरा है। भाद्रपद अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान दान व पूजा पाठ करने से समस्त कार्य बिना विघ्न पूर्ण हो जाते हैं और सुख समृद्धि व खुशहाली का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।