कब और क्यों मनाई जाती है शनि जयंती? इन उपायों को करने से मिलेगा शनि दोष से मुक्ति के मार्ग
शनिदेव को कर्म फलदाता कहा जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | शनिदेव को कर्म फलदाता कहा जाता है। शनिदेव सभी को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। हालांकि शनि की साढ़े साती महादशा का नाम सुनते ही लोग घबराते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में शनि अशुभ स्थिति में होने पर शनि की साढ़े साती महादशा के दौरान कष्टों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में मकर, कुंभ व धनु राशि वालों पर शनि का साढ़े साती चल रही है। मान्यता है कि शनि जयंती के दिन शनि की साढ़े साती महादशा से पीड़ित राशि वालों को कुछ खास उपाय करने से लाभ मिलता है।
शनि जयंती क्यों मनाई जाती है-
मान्यता है कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को शनिदेव का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन शनि जयंती मनाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन शनिदेव की सच्चे मन से अराधना व पूजा-पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शनिदेव से संबंधित चीजों का दान करने से शनि की महादशा में लाभ मिलता है।
शनि जयंती कब है?
इस साल शनि जयंती 10 जून दिन गुरुवार को है। खास बात यह है कि इस दिन साल का पहला सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। इसके अलावा वट सावित्री व्रत भी रखा जाएगा।
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शनि जयंती पर इन उपायों को करने से होगा लाभ-
1. शनि जयंती के दिन शनि चालीसा का पाठ करने से शुभ फल की प्राप्ति होने की मान्यता है।
2. शनिदेव से संबंधित वस्तुएं जैसे तेल, काली उड़द, काला वस्त्र, लोहा, काला कंबल दान करने से लाभ होता है।
3. शनि जयंती के दिन भगवान शंकर व हनुमान जी की पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
4. शनि जयंती के दिन शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए सुबह जल्दी स्नान आदि करके शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
5.एक कटोरी में सरसों का तेल लेकर उसमें अपना चेहरा देखकर तेल सहित उस कटोरी शनि मंदिर या शनि का दान लेने वालों को दान करने से लाभ मिलता है।
6. शनि मंत्रों ॐ शं शनैश्चराय नम:। ॐ निलांजन समाभासम रविपुत्रम यमाग्रजंम। छायामार्तंड संभूतम तमः नमामि शनेश्चरम। का जाप करने से भी लाभ मिलने की मान्यता है।