पिंडदान के बाद कौवे और गाय न मिले तो क्या करे

Update: 2023-10-07 18:08 GMT
इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है जबकि पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जा रहे हैं। पूर्वजों के निधन की तय तिथि पर श्रद्धा कर पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जा रही है। यह एक ऐसी अवधि है, जो पितरों के साथ-साथ हमारे लिए भी बहुत जरूरी होता है। हिंदू शास्त्रों के मुताबिक पितृपक्ष में तर्पण से पितरों को मोक्ष मिलता है। साथ ही श्राद्ध, तर्पण और दान करने वाले साधक को पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए खाने से कर भाग भोग के निकल जाते हैं। यह भोग कौवा, गौ, स्वान और कन्या के लिए होता है।
अगर श्राद्ध करने में कुछ चीजों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है तो श्राद्ध करने के कुछ अन्य विकल्प भी है। गौरतलब है कि दर्पण करने में सफेद फूलों का महत्व काफी अधिक होता है। पुराणों में कद्दू के फूलों को श्राद्ध में उपयोग करने के लिए सबसे उपयुक्त बताया गया है लेकिन अब यह फूल मिलना काफी दुर्लभ हो गए हैं। ऐसे में श्राद्ध के दौरान चांदनी के फूलों का उपयोग किया जा सकता है। अगर चांदनी के फूल भी उपलब्ध न हो तो कनेर के फूलों का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि गए और स्वान का कोई विकल्प नहीं है। अगर किसी कारण से गए ना मिली तो शाम तक वृक्ष के नीचे भोग को विसर्जित किया जा सकता है।
पितृ पक्ष की धारणी दर्पण करने के बाद पितरों को तृप्त करने के लिए भोजन का एक हिस्सा कौवा को भी दिया जाता है। हालांकि शहरों में अब काफी काफी कम दिखते हैं। कौवा को तलाशने के लिए काफी अधिक मशक्कत और मेहनत करनी पड़ती है। अगर कौवे नहीं मिल रहे हैं तो लोग किसी भी पक्षी को उसका भाग खिला सकते हैं।
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