क्या है कौरव-पांडव फूल का महाभारत से नाता

का महाभारत से नाता

Update: 2023-07-26 08:07 GMT
महाभारत के जुड़ी आज भी बहुत सी चीजें हैं वो धरती के अलग-अलग क्षेत्रों में स्थापित हैं।
इन्हीं में से एक है वो फूल जिसे कौरव-पांडव फूल के नाम से जाना जाता है। यह फूल उत्तराखंड में मिलता है और इसका संबंध महाभारत से है।
ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें न सिर्फ इस फूल की विशेषता बताई बल्कि इसके पीछे की रोचक कथा के बारे में भी जानकारी प्रदान की।
क्या है कौरव पांडव फूल की विशेषता?
कौरव पांडव फूल में पूरी महाभारत समाई हुई है।
इस फूल में 100 बैंगनी पत्तियां हैं जो कौरवों का प्रतीक हैं।
पंखुड़ियों के ऊपर 5 हरे बीज हैं जो पांडव का प्रतीक हैं।
इस फूल में तीन छोटे-छोटे पिंड हैं जो त्रिदेव का प्रतीक हैं।
फूल के बीच का हिस्सा श्री कृष्ण (श्री कृष्ण के मंत्र) के ब्रह्मांड रूप का प्रतीक है।
संपूर्ण फूल दिखने में श्री कृष्ण के सुदर्शन चक्र के समान है।
क्या है कौरव पांडव फूल का महत्व?
इस फूल को लेकर दो मान्यताएं हैं जो शास्त्रों में लिखी हैं।
इस फूल से पूजा-पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है।
इस फूल से शिवलिंग का जलाभिषेक जरूर करना चाहिए।
अभिषेक करने पर इसकी 108 पंखुड़ियों से जल अर्पित होता है।
ऐसे में एक बार में ही 108 जलाभिषेक का फल मिलता है।
क्या है कौरव पांडव फूल की कथा?
युद्ध के बाद पांडवों ने अपने कौरव भाइयों का अंतिम संस्कार किया था।
इसके अलावा, पूर्ण विधि के साथ पिंडदान और तर्पण प्रक्रिया भी की थी।
पांडवों की वजह से कैरावों को बुरे कर्मों के बाद भी स्वर्ग की प्राप्ति हुई।
सभी कौरवों ने पितृ रूप में पांडवों (पांडवों ने क्यों बनवाया था केदारनाथ मंदिर) को दर्शन देकर आशीर्वाद दिया था।
कौरवों ने पांडवों का आभार प्रकट किया और श्री कृष्ण से क्षमा मांगी।
पितृ रूपी कौरवों ने श्री कृष्ण से उनकी पूजा करने की इच्छा जताई।
श्री कृष्ण की आज्ञा से पांडवों और कौरवों ने मिलकर कृष्ण पूजा की।
यह पहली बार था जब पांडवों-कौरवों ने साथ में कोई पुण्य किया था।
तब श्री कृष्ण ने प्रसन्न होकर पैर के अंगूठे से एक दिव्य पुष्प प्रकट किया।
पुष्प का नाम श्री कृष्ण ने कौरव-पांडव रखा और देव भूमि में इसे स्थापित किया।
श्री कृष्ण ने वरदान दिया कि यह पुष्प पूजा-पाठ में बहुत शुभ माना जाएगा।
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महाभारत से जुड़े और कौन से फूल हैं?
कौरव-पांडव फूल के अलावा महाभारत से जुड़ा एक और फूल है जिसका नाम द्रौपदी माला है।
महाभारत में क्यों है बरगद के पेड़ का महत्व?
महाभारत कला के दौरान जिस पेड़ के नीचे लेजाकर श्री कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञान दिया था वह अक्षय वट था जिसे बरगद भी कहते हैं. यह पेड़ आज भी कुरुक्षेत्र की भूमि पर मौजूद है।
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