क्या है शेषनाग कालसर्प योग की दशा, जानिए इससे होती हैं ये समस्याएं
कालसर्प योग एक ऐसा योग है, जिसे हर पंडित या ज्योतिष का जानकार कुंडली में देखकर जातक को जरूर कहता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कालसर्प योग एक ऐसा योग है, जिसे हर पंडित या ज्योतिष का जानकार कुंडली में देखकर जातक को जरूर कहता है कि किसी ज्योतिर्लिंग पर कालसर्प योग के निवारण की पूजा होनी चाहिए। उस पूजा पद्धति का जिक्र कभी विस्तार से करेंगे, लेकिन आज इस लेख में बताते हैं कि कालसर्प योग कुल 12 प्रकार के होते हैं। ज्योतिषाचार्य अनीस व्यास बता रहे हैं, इनमें से कुछ प्रमुख कालसर्प योग ये हैं।
1. तक्षक कालसर्प योग
सप्तम से लग्न तक राहु-केतु के मध्य पड़ने वाले इस योग के प्रभाव स्वरूप जातक का दांपत्य जीवन कष्ट कारक होता है। काफी परिश्रम के बाद सफलता मिलती है। स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।
2. कर्कोटक कालसर्प योग
अष्टम भाव से द्वितीय भाव तक के योग में जातक आर्थिक हानि, अधिकारियों से मनमुटाव एवं प्रेत बाधाओं का सामना करता हैं। उसके अपने ही लोग हमेशा षड्यंत्र करने में लगे रहते हैं।
3. शंखनाद कालसर्प योग
यह योग नवम से तृतीय भाव तक निर्मित होता है। इस योग के प्रभावस्वरूप कार्य बाधा, अधिकारियों से मनमुटाव, कोर्ट कचहरी के मामलों में उलझाने एवं अधिकाधिक विदेश प्रवास और यात्राएं कराता है।4. पातक कालसर्प योग
दशम से चतुर्थ भाव तक बनने वाले इस योग में माता पिता के स्वास्थ्य एवं रोजगार के क्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। नौकरी में स्थान परिवर्तन और अस्थिर ता की अधिकता रहती है।
5. विषधर कालसर्प योग
ग्यारहवें भाव से लेकर पंचम भाव तक के मध्य राहु-केतु के अंदर पड़ने वाले ग्रहों के द्वारा यह योग निर्मित होता है। इसमें नेत्र पीड़ा, हृदय रोग और बड़े भाइयों से संबंध की दृष्टि से अच्छा नहीं कहा जा सकता।
6. शेषनाग कालसर्प योग
द्वादश से लेकर छठे भाव तक के मध्य पड़ने वाले इस योग के प्रभाव स्वरूप जातक को बाएं नेत्र विकार और कोर्ट-कचहरी के मामलों में चक्कर लगाने पड़ते हैं। जिसके प्रभाव स्वरूप आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता है।