शिव जी का मंदिर 'सबसे ऊंचाई' पर स्थित है क्या है इसकी मान्यता
मंदिर के आसपास नवम्बर के बाद से ही बर्फबारी का सुंदर नजारा दिखने लगता है। साथ ही खिले हुए बुरांश के फूल देखकर मन खुश हो जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हमारे देश में शिव जी के एक से बढ़ के एक प्राची व धार्मिक मंदिर है। इन सभी मंदिरों का अपना-अपना रहस्य व महत्व है। आज हम आपको इनके एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद प्राचीन है। दरअसल हम बात कर रहे हैं शिव जी से सब ऊंचे मंदिर की। उत्तराखंड में गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर सभी पंच केदारों (अन्य केदार- मध्यमेश्वर, केदारनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर) में से सबसे अधिक ऊंचाई (समुद्र तल से 3680 मीटर) पर स्थित है।
माना जाता है कि यह विश्व में सर्वाधिक ऊंचाई पर मौजूद शिव मंदिर है। मंदिर में शिव जी के हृदय और उनकी भुजाओं की पूजा होती है। यह इतना छोटा मंदिर है कि यहां एक बार में केवल 10 लोगों को ही प्रवेश की अनुमति है। मंदिर रामायण से भी जुड़ा है, जहां भगवान राम ने रावण का वध करने के बाद ब्रह्महत्या के अभिशाप से बचने के लिए तपस्या की थी। एक अन्य कथा के अनुसार इसे पांडवों ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बनाया था। यह भी मान्यता है कि माता पार्वती ने शिव जी को पाने के लिए यहीं पर तपस्या की थी। मंदिर के आसपास नवम्बर के बाद से ही बर्फबारी का सुंदर नजारा दिखने लगता है। साथ ही खिले हुए बुरांश के फूल देखकर मन खुश हो जाता है।
लोग करते हैं चट्टान की भी पूजा-
मंदिर को लेकर कहा जाता है कि मंदिर का भाग पहाड़ियों से सटा हुआ है, जहां पवित्र खड़ी काली चट्टान जिसे स्वयंसिद्ध लिंग के रूप में भी जाना जाता है, की लोग पूजा करते हैं।
शिव की भुजाओं की होती है यहां पूजा -
बता दें ये वो जगह है, जहां बैल के रूप में भगवान शिव के हाथ दिखाई दिए थे, जिसके बाद पांडवों ने तुंगनाथ मंदिर का निर्माण करवाया था।
क्या है मंदिर के नाम का अर्थ -
मंदिर का नाम 'तुंग' अर्थात् हाथ और 'नाथ' भगवान शिव के प्रतीक के रूप में लिया गया है।
पंचरत्न मंदिर
पश्चिम बंगाल के बांकुरा में स्थित यह मंदिर राजा रघुनाथ सिंह द्वारा 1643 में बनवाया गया था। मंदिर एक छोटे से वर्गाकार चबूतरे पर बना हुआ है। इसके चारों तरफ 3 मेहराबों वाले द्वार के साथ चारों तरफ घूमने के लिए एक बगीचा है। दीवारों पर बड़े पैमाने पर टेराकोटा की नक्काशी से भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का चित्रण किया गया है।
आदि कुंभेश्वर
तमिलनाडु में स्थित कुम्भकोणम को मंदिरों का नगर कहा जाता है। यहीं पर आदि कुंभेश्वर मंदिर स्थित है। यह मंदिर विजयनगर काल का है। मंदिर के प्रमुख देवता आदि कुंभेश्वर हैं और उनका पवित्र स्थान मंदिर के ठीक केंद्र में स्थित है। कुम्भेश्वर लिंगम एक शिवलिंग के रूप में है जिसके बारे में माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं अपने हाथों से अमृत को रेत में मिलाकर इसे बनाया था।