धर्म अध्यात्म: आदित्य हृदय स्तोत्र श्री वाल्मिकी रामायण के युद्धकांड का एक सौ पांचवां सर्ग है. प्रभु श्री राम को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अगस्त्य ऋषि ने उनको ये स्तोत्र बताया था. सूर्य के समान तेज पाना चाहते हैं या युद्ध या मुकदमों में विजय के लिए ये पाठ अमोघ है. इसके पाठ के कुछ खास नियम हैं.
आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ करने के फायदे:-
1. राज्य पक्ष से कोई परेशानी या सरकारी मुकदमों से बचने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.
2. हड्डियों या आंखों के रोग से बचने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र पढ़ना चाहिए.
3. पिता के साथ संबंध बेहतर बनाने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.
4. आंखों की समस्या गंभीर तौर पर परेशान कर रही हो तो आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.
5. किसी बड़े काम में कामयाबी पाने के लिए आदित्य स्तोत्र का पाठ करें.
क्या है आदित्य हृदय स्तोत्र?
आदित्य हृदय स्तोत्र सूर्य देव से संबंधित है. इस स्तोत्र का पाठ सूर्य देव को प्रसन्न व उनकी कृपा पाने के लिए किया जाता है. शास्त्रों में इस स्त्रोत का पाठ करना बहुत ही शुभ व फलदायी बताया गया है. ज्योतिषशास्त्र में भी आदित्य हृदय स्तोत्र को बहुत महत्व दिया गया है. इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से जीवन के अनेक कष्टों का निवारण होता है.
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने के नियम:-
1. रविवार को उषाकाल में इसका पाठ करें.
2. रोज सूर्योदय के समय भी इसका पाठ कर सकते हैं.
3. पहले स्नान करें, सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं.
4. फिर सूर्य के सामने आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें.
5. पाठ के बाद सूर्यदेव का ध्यान करें.
6. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करते हो उन्हें रविवार के दिन मांसाहार, मदिरा तथा तेल का प्रयोग न करें. संभव हो तो रविवार को नमक का सेवन भी न करें.