घर पर बनाये इन 5 चीजो से वैदिक राखी, पूजा में होता है प्रयोग
रक्षाबंधन का पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है।
रक्षाबंधन का पर्व समाज के टूटे हुए मनों को जोड़ने का सुंदर अवसर है। इसके आगमन से कुटुंब में आपसी कलह समाप्त होने लगते हैं, दूरी मिटने लगती है और रिश्तों की डोर और मजबूत होती है। इस अवसर पर बहनें अपने भाई के लिए बाजार से सुंदर-सुंदर राखियां खरीदती हैं। लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं वैदिक राखी के बारे में…
वैदिक राखी का महत्व
वैदिक राखी का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि सावन के मौसम में यदि रक्षासूत्र को कलाई पर बांधा जाए तो इससे संक्रामक रोगों से लड़ने की हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही यह रक्षासूत्र हमारे अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचारण भी करता है।
कैसे बनाएं वैदिक रक्षासूत्र
दुर्वा, चावल, केसर, चंदन, सरसों को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर एक पीले रंग के रेशमी कपड़े में बांध लें यदि इसकी सिलाई कर दें तो यह और भी अच्छा रहेगा। इन पांच पदार्थों के अलावा कुछ राखियों में हल्दी, कौड़ी व गोमती चक्र भी रखा जाता है। रेशमी कपड़े में लपेटकर बांधने या सिलाई करने के पश्चात इसे कलावे (मौली) में पिरो दें। आपकी राखी तैयार हो जाएगी।
वैदिक रक्षासूत्र बांधने के लाभ
रक्षाबंधन के दिन वैदिक रक्षासूत्र बांधने से वर्ष भर रोगों से हमारी रक्षा होती है। भाई-बहन एक दूसरे के लिए यही कामना करते हैं, बुरे भावों से रक्षा रहे, बुरे कर्मों से रक्षा रहे'- ऐसा एक-दूसरे के प्रति संकल्प करते हैं।
बहनें करें यह संकल्प
रक्षाबंधन के दिन बहन भाई के ललाट पर तिलक-अक्षत लगाकर संकल्प करती है कि 'जैसे शिवजी त्रिलोचन हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, वैसे ही मेरे भाई में भी विवेक-वैराग्य बढ़े, मोक्ष का ज्ञान, मोक्षमय प्रेमस्वरूप ईश्वर का प्रकाश आए। मेरे भैय्या की सूझबूझ, यश, कीर्ति और ओज-तेज बना रहे।' बहनें रक्षाबंधन के दिन ऐसा संकल्प करके रक्षासूत्र बांधें कि 'हमारे भाई धर्म प्रेमी, भगवत्प्रेमी बनें। और भाई सोचें कि 'हमारी बहन भी चरित्रप्रेमी, धर्मप्रेमी, भगवत्प्रेमी बने।' अपनी सगी बहन व पड़ोस की बहन के लिए अथवा अपने सगे भाई व पड़ोसी भाई के प्रति ऐसा सोचें। आप दूसरे के लिए भला सोचते हो तो आपका भी भला हो जाता है। संकल्प में बड़ी शक्ति होती है।