Vastu Tips: इससे इतर भी मंदिर के घरों का वास्तु दोष बताया गया है। यदि आपका घर भी किसी मंदिर के पास है तो उसके वास्तु दोष को समझकर उसका उपाय किया जा सकता है।
मंदिर की छाया का दोष :
कहते हैं कि प्रात:काल मंदिर की छाया भवन पर पड़ना अशुभ होता है। इसे छाया वेध कहते हैं। मंदिर ही नहीं, घर पर किसी वृक्ष, भवन, ध्वजा, पहाड़ी, स्तूप, खंभे आदि की छाया 2 पहर से ज्यादा लगभग 6 घंटे मकान पर पड़ती है तो Vaastu Shaastra में उसे छाया वेध कहते हैं। ऐसा भवन देवी और देवताओं की कृपा से वंचित रह जाता है। वैज्ञानिक कारण यह है कि प्रात:काल की धूप हमारे लिए सकारात्मक उर्जा का संचार करती है जिससे हम वंचित रह जाते हैं। अगर मंदिर की ध्वजा की ऊंचाई से दो गुनी जगह छोड़कर घर बना हो तो दोष नहीं लगता।
मंदिर से सटा या एकदम सामने स्थिति घर :
मान्यता अनुसार मंदिर से सटा घर है या मंदिर का द्वार और आपके घर का द्वार आमने-सामने है तो यह अशुभ माना गया है। वास्तु मान्यता के अनुसार यदि शिवालय है तो ऐसे घरों में 12 वर्ष के नीचे के बच्चों की अकाल मृत्यु होती है। नई संतान का जन्म नहीं होता है।
वास्तु नियम :
पहला नियम यह है कि घर या प्लॉट मंदिर के प्रवेश द्वार से कम से कम 25 मीटर या 80 फीट की दूरी पर होना चाहिए।
दूसरा नियम यह है कि घर का गेट सीधे मंदिर के सामने नहीं होना चाहिए। तीसरा और अब तक का सबसे महत्वपूर्ण नियम यह है कि घर पर कभी भी मंदिर की छाया नहीं पड़नी चाहिए।
देवी और देवताओं के मंदिर के अनुसार वास्तु दोष:
1. शिवजी के मंदिर से लगभग 750 मीटर की दूरी में निवास हो तो कष्ट होता है। भवन की किसी भी दिशा में 300 कदम की दूरी पर स्थित शिव मंदिर के प्रभाव अशुभ होते हैं।
2. विष्णु मंदिर के 30 फीट के घेरे में मकान हो तो अमंगल होता है।
3. देवी मंदिर के 180 मीटर में घर हो तो रोगों से पीड़ा होती है।
5. हनुमानजी के मंदिर से 120 मीटर में निवास होने पर तो दोष होता है।
6. भवन के बाईं ओर स्थित दुर्गा, गायत्री, लक्ष्मी या किसी अन्य देवी का मंदिर अशुभ प्रभाव देता है।
7. भवन के पृष्ठ भाग में भगवान विष्णु या उनके किसी अवतार का मंदिर होना भी गंभीर वास्तुदोष माना गया है।
8. रुद्रावतार भगवान हनुमानजी का मंदिर भी शिव मंदिर की तरह वास्तु दोषकारक होता है।
मंदिर के पास स्थित घर के वास्तु दोष का निवारण:-
1. भगवान भैरव, नाग देवता, सती माता, शीतलामाता आदि के मंदिर यदि भूमि और गृहस्वामी के कद से कुछ छोटे हों, तो उनका वास्तुदोष नहीं होता।
2. घर की जिस दिशा में शिव मंदिर हो, उस दिशा की ओर गणेशजी की मूर्ति स्थापित करने से वास्तुदोष दूर हो जाता है।
3. यदि शिव मंदिर घर के ठीक सामने हो, यानी भवन और मंदिर के द्वार आपने सामने हो तो घर की मुख्य दहलीज में तांबे का सर्प गाड़ देना चाहिए।
4. यदि घर के ठीम सामने भैरवनाथ का मंदिर हो तो कौवों को अपने मुख्य द्वार पर रोज रोटी खिलानी चाहिए।
5. यदि किसी देवी मंदिर के कारण वास्तुदोष है तो उस देवी के अस्त्र के प्रतीक की स्थापना प्रमुख द्वार पर करनी चाहिए अथवा उसका चित्र लगाया जा सकता है। यदि देवी प्रतिमा अस्त्रहीन हो, तो देवी के वाहन का प्रतीक द्वार पर लगाएं।
6. माता लक्ष्मी का मंदिर हो, तो द्वार पर कमल का चित्र या श्रीहरि विष्णु का चित्र लगाकर उन्हें नित्य कमल गट्टे की माला पहनाएं।
7. यदि Temple श्रीहरि विष्णु का हो, तो भवन के ईशान कोण में चांदी या तांबे के आधार पर दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना कर उसमें नियमित जल भरें और पूजन करें। यदि प्रतिमा चतुर्भुज की हो, तो मुख्य द्वार पर गृहस्वामी के अंगूठे के बराबर पीतल की गदा लगा दें।
8. यदि भगवान श्री राम का मंदिर हो, तो घर के मुख्य द्वार पर तीरविहीन धनुष का दिव्य चित्र बना दें।
9. श्री कृष्ण का मंदिर हो, तो एक गोलाकार चुंबक को सुदर्शन चक्र के रूप में प्रतिष्ठित स्थापित कर दें।
10. किसी भी अन्य देवी या देवता का मंदिर हो, तो मुख्य द्वार पर पंचमुखी हनुमान का चित्र लगा दें।