हिंदी पंचांग के अनुसार, हर वर्ष माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी मनाई जाती है। इस प्रकार वर्ष 2022 में 5 फरवरी को वसंत पंचमी है। इस दिन विद्या की देवी मां शारदे की पूजा आराधना की जाती है। इन्हें संगीत की देवी भी कहा जाता है। बिहार, बंगाल और झारखण्ड में वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की विशेष धूम रहती है। साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी वसंत पंचमी मनाई जाती है। आइए, वसंत पंचमी के बारे में सबकुछ जानते हैं-
वसंत पंचमी की कथा
शास्त्रों में निहित है कि मानव की रचना के समय पृथ्वीलोक पर मौन व्याप्त था। किसी प्रकार की ध्वनि या झंकार नहीं थी। यह देख त्रिदेव आश्चर्य मुद्रा में एक दूसरे को देखने लगे। वे सृष्टि की रचना से संतुष्ट नहीं थे। उस वक्त त्रिदेव को लगा कि निःसंदेह किसी चीज की कमी रह गई है। इसके चलते पृथ्वीलोक में मौन व्याप्त है। तत्क्षण ब्रह्मा जी, आराध्य देव शिवजी और विष्णुजी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से जल अपने अंजलि में भरकर उच्चारण कर पृथ्वी पर छिड़का। इससे उस स्थान पर कंपन होने लगी। जिस जगह पर कंपन हो रही थी। उस स्थान से एक शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ। शक्तिरूपी माता के एक हाथ में वीणा, तो दूसरा हाथ तथास्तु मुद्रा में थी। उनके अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी। यह देख त्रिदेव ने देवी को प्रणाम कर वीणा बजाने की प्रार्थना की। मां के वीणा बजाने से तीनों लोकों में वीणा का मधुरनाद हुआ। इससे पृथ्वी लोक के समस्त जीव जंतु और जन भाव विभोर हो गए। इससे समस्त लोकों में चंचलता आई। उस समय त्रिदेव ने मां को शारदे और सरस्वती, संगीत की देवी नाम दिया।
माँ के अन्य नाम
माँ सरस्वती को मां शारदे , मां वीणापाणि, वीणावादनी, मां बागेश्वरी, मां भगवती और मां वाग्यदेवी आदि नामों से जाना जाता है। मां के साधक उद्घोष और जयकारा कर मां का आह्वान करते हैं।
वसंत पंचमी का महत्व
वसंत पंचमी के दिन मां शारदे का प्रादुर्भाव हुआ है। अतः माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां की पूजा उपासना कर उनका जनमोत्स्व जनमोत्स्व मनाया जाता है। ऋग्वेद में मां का संबोंधन इस प्रकार है-