कुंवारी कन्याएं जरूर रखें रंभा तीज का व्रत, जाने शुभ मुहूर्त और मंत्र
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तृतीया का व्रत रखा जाता है। इन दिन कुंवारी कन्याएं मनभावन पति के लिए व्रत रखती हैं। वहीं सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं।
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंभा तृतीया का व्रत रखा जाता है। इन दिन कुंवारी कन्याएं मनभावन पति के लिए व्रत रखती हैं। वहीं सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और अच्छे स्वास्थ्य के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से संतान सुख भी मिलता है। रंभा तृतीया के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सौभाग्य की प्राप्ति के लिए अप्सरा रंभा ने इस व्रत को रखा था। इसी कारण इसे रंभा तीज भी कहा जाता है। जानिए रंभा तृतीया का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व।
रंभा तृतीया व्रत शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि प्रारंभ - 01 जून, बुधवार रात में 09 बजकर 47 मिनट से शुरू
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि का समापन- 03 जून 2022 शुक्रवार को रात 12 बजकर 17 मिनट तक
उदया तिथि 2 जून 2022 को है। इसलिए व्रत 02 जून को रखा जाएगा।
रंभा तृतीया की पूजा विधि
आज के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें।
व्रत और पूजा का संकल्प लें।
अब स्वच्छ आसन में बैठकर एक चौक में साफ कपड़ा बिछाकर मां पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित करें।
सबसे पहले जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव को सफेद चंदन लगाएं और माता पार्वती को सिंदूर लगाएं।
मां पार्वती और भगवान शिव को फूल, अक्षत, हल्दी, मेहंदी आदि सभी सामग्री चढ़ा दें।
अब भोग लगा दें।
इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर आरती आदि कर लें।
रंभा तीज पर करें इन मंत्रों का जाप
मां पार्वती, भगवान शिव की पूजा करने के बाद हाथ में अक्षत लेकर इन मंत्रों का जाप करें।
ॐ दिव्यायै नमः
ॐ वागीश्चरायै नमः
ॐ सौंदर्या प्रियायै नमः
ॐ योवन प्रियायै नमः
ॐ सौभाग्दायै नमः
ॐ आरोग्यप्रदायै नमः
ॐ प्राणप्रियायै नमः
ॐ उर्जश्चलायै नमः
ॐ देवाप्रियायै नमः
ॐ ऐश्वर्याप्रदायै नमः
ॐ धनदायै धनदा रम्भायै नमः