इन चीजों के बिना अधूरा है तुलसी विवाह, जाने शुभ मुहूर्त

कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन दवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन 4 महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्‍णु जागते हैं. इसलिए देव उठनी एकादशी का व्रत रखना और पूजा करना बेहद फलदायी माना गया है.

Update: 2022-10-31 03:19 GMT

कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन दवउठनी एकादशी मनाई जाती है. इस दिन 4 महीने की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्‍णु जागते हैं. इसलिए देव उठनी एकादशी का व्रत रखना और पूजा करना बेहद फलदायी माना गया है. इस साल 4 नवंबर को देव उठनी एकादशी मनाई जाएगी. एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 5 नवंबर को होगा. इसी दिन तुलसी-शालिग्राम विवाह रचाया जाएगा. देवोत्थान एकादशी पर भगवान शालिग्राम और देवी तुलसी का विवाह कराने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है. विवाह और पूजन विधि-विधान से करने के लिए पूजा सामग्री में कुछ चीजों को जरूर शामिल करें, वरना इन चीजों के बिला पूजा अधूरी ही रह जाएगी.

तुलसी विवाह पूजन सामग्री

तुलसी विवाह पूजा में मंडप तैयार करने के लिए गन्ना का उपयोग करें. फिर इसके नीचे चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा, तुलसी का पौधा सजाएं. पूजा के लिए धूप, दीपक, वस्त्र, माला, फूल, सुहाग का सामान, लाल चुनरी, साड़ी, हल्दी, मूली, आंवला, बेर, शकरकंद, सिंघाड़ा, सीताफल, अमरूद और मौसमी फल आदि रखें.

तुलसी विवाह पूजा विधि

तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करने के लिए शुभ मुहूर्त चुनें. फिर घर के आंगन, छत या बालकनी को अच्‍छी तरह साफ करके उसमें गन्‍ने से मंडप तैयार करें. शाम के समय भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्‍मी के आगमन के लिए तुलसी विवाह से पहले रंगोली बनाएं. तुलसी माता और भगवान शालिग्राम का विधि-विधान से विवाह रचाएं. उनके फेरे करवाएं. घी के 11 दीपक जलाएं. गन्ना, अनार, केला, सिंघाड़ा, लड्डू, पतासे, मूली आदि मौसमी फल एवं नवीन धान्य आदि अर्पित करें. विवाह गीत गाएं. साथ ही तुलसी नामाष्टक सहित विष्णुसहस्त्रनाम के पाठ करें. ऐसा करने से बहुत पुण्‍य मिलता है और जीवन में अपार सुख-समृद्धि आती है.

 

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