कल है मंगला गौरी व्रत, जानें तिथि और समय,महत्व
श्रावण मास में भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| श्रावण मास में भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं और श्रावण माह के प्रत्येक मंगलवार को महिलाएं मंगला गौरी व्रत का पालन करती हैं ताकि भगवान और देवी को प्रसन्न किया जा सके और इस विशेष दिन के महत्व को जानने के लिए नीचे स्क्रॉल करें.
श्रावण मास भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. ये त्योहार उत्तर और दक्षिण भारतीय दोनों राज्यों में मनाया जाता है लेकिन उत्तर भारत में पूर्णिमांत कैलेंडर का पालन किया जाता है जबकि दक्षिण भारत में अमंत कैलेंडर का पालन किया जाता है, इसलिए श्रावण मास की शुरुआत के पंद्रह दिनों का अंतर होता है.
सावन में, भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं, और सावन महीने के प्रत्येक मंगलवार को महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं. अंतिम मंगला गौरी व्रत 17 अगस्त 2021 को है.
मंगला गौरी व्रत : तिथि और समय
पहला मंगला गौरी व्रत : 27 जुलाई 2021, मंगलवार
दूसरा मंगला गौरी व्रत : 3 अगस्त 2021, मंगलवार
तीसरा मंगला गौरी व्रत : 10 अगस्त 2021, मंगलवार
चौथा या अंतिम मंगला गौरी व्रत : 27 जुलाई 2021, मंगलवार
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत को हिंदुओं में सबसे शुभ व्रतों में से एक माना जाता है. ये मुख्य रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा देवी पार्वती को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है जो उनकी उथल-पुथल को दूर करने और उनकी इच्छाओं को पूरा करने की शक्ति का प्रतीक हैं. अविवाहित लड़कियां भी पूजा कर सकती हैं और मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए व्रत रख सकती हैं.
मंगला गौरी व्रत की कहानी
एक बार की बात है एक धनी व्यापारी धर्मपाल रहता था. उनकी पत्नी बहुत सुंदर थी और वो अपने शांतिपूर्ण जीवन से खुश थे. कई वर्षों तक प्रार्थना करने के बाद, दोनों को एक पुत्र की प्राप्ति हुई, लेकिन उन्हें श्राप मिला. कुछ ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि 16 साल की उम्र में वो सर्पदंश से मर जाएगा.
सौभाग्य से, उनका विवाह सोलह वर्ष से पहले एक लड़की से हो गया, जिसकी मां मंगला गौरी व्रत रखती थी. क्यूंकि ये व्रत बहुत फलदायी है, इसलिए उनकी बेटी को एक सुखी जीवन का आशीर्वाद मिला, और उनके पति को श्राप से बचाया गया. परिणामस्वरूप वो एक आनंदमय जीवन व्यतीत करते थे.
मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान
– सुबह जल्दी उठकर नहा लें और साफ कपड़े पहनें.
– लकड़ी के चबूतरे पर लाल कपड़ा बिछाएं.
– देवी पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करें.
– पूजा गेहूं के आटे के दीपक से की जाती है.
– हल्दी, कुमकुम, अक्षत, सुपारी और सिंदूर आदि का भोग लगाया जाता है.
– मंगला गौरी स्तोत्र का पाठ किया जाता है.
– नैवेद्य अर्पित किया जाता है.
– मंगला गौरी की आरती की जाती है.
– अनजाने में किए गए पापों और गलतियों के लिए हाथ जोड़कर क्षमा मांगें.
– अगले दिन देवी की मूर्ति को किसी नदी या तालाब में विसर्जित करें.
मंगला गौरी व्रत 2021 का मंत्र
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।