कल है गोवर्धन पूजा इस दिन श्रीकृष्ण की होती है पूजन, जानिए इसकी शुभ मुहूर्त और विधि
गोवर्धन पूजा या अन्नकूट उत्सवदिवाली के अगले दिन मनाया जाता है. इस बार गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को यानि की दिवाली ठीक एक दिन पड़ राह है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| गोवर्धन पूजा या अन्नकूट उत्सवदिवाली के अगले दिन मनाया जाता है. इस बार गोवर्धन पूजा 15 नवंबर को यानि की दिवाली ठीक एक दिन पड़ राह है. इस दिन गोवर्धन पर्वत या गिरिराज पर्वत को भगवान कृष्ण ने अपनी कनिष्ठ उंगली से ऊपर उठाकर बृजवासियों की भारी बारिश से जान बचाई थी. वहीं से गोवर्धन पूजा शुरू हो गई थी
दिवाली के त्यौहार को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा त्यौहार माना गया है और इसी के अगले दिन आता है गोवर्धन पूजा जिसका अपना अलग और खास महत्व है. इस पर्व पर भगवान श्री कृष्ण के गोवर्धन स्वरूप की पूजा की जाती है और उन्हें 56 भोग और अन्नकूट का प्रसाद चढ़ाया जाता है. तो चलिए जानते हैं इस पूजा से जुड़ी खास बातें और कब है इसका शुभ मुहूर्त.
गोर्वधन पूजा के नियम एवं विधि
1. इसके लिए आप गाय के गोबर से पहले चौक और पर्वत बनाएं और इसे अच्छे से फूलों से सजाए. अब गोवर्धन पर धूप, दीप, जल और फल आदि रखें और कथा पढ़ें
2. जब पूजा हो जाए तो गोवर्धन की सात बार परिक्रमा करें, इस दौरान आपके हाथों में जल होना चाहिए आप उसे किसी लोटे में लें, ध्यान रहे कि परिक्रमा के वक्त जल थोड़ा-थोड़ा गिरता रहना चाहिए.
3. गोवर्धन पूजा में अन्नकूट का प्रसाद जरूर चढ़ाएं और पूजा के बाद घर के सभी सदस्यों को यह प्रसाद ग्रहण करने के लिए दें.
4. शाम को चांद के दर्शन ना करें, यदि आप इस तरह पूरे विधि-विधान के साथ गोर्वधन पूजा करते हैं तो आपको भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद के साथ-साथ धन, संतान और गौ रस सुख भी प्राप्त होता है.
गोवर्धन पूजा की कहानी
भगवान श्री कृष्ण ने बृजवासियों को इंद्र की पूजा करते हुए देखा तो उनके मन में इसके बारे में जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई. श्री कृष्ण की मां भी इंद्र की पूजा कर रही थीं. कृष्ण ने इसका कारण पूछा तब बताया गया कि इंद्र बारिश करते हैं, तब खेतों में अन्न होता है और हमारी गायों को चारा मिलता है. इस पर श्री कृष्ण ने कहा कि हमारी गायें तो गोवर्धन पर्वत पर ही रहती हैं इसलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा की जानी चाहिए. इस पर बृजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी तब इंद्र को क्रोध आया और उन्होंने मूसलाधार बारिश शुरू कर दी. चारों तरफ पानी के कारण बृजवासियों की जान बचाने के लिए श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठ उंगली पर उठा लिया. लोगों ने उसके नीचे शरण लेकर अपनी जान बचाई. इंद्र को जब पता चला कि कृष्ण ही विष्णु अवतार हैं, तब उन्होंने उनसे माफी मांगी. इसके बाद श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पूजा के लिए कहा और इसे अन्नकुट पर्व के रूप में मनाया जाने लगा.
शुभ मुहूर्त
इस बार कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि 15 नवंबर की सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर आरंभ हो रही है, जो 16 नवंबर की सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक रहेगी. गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से संध्या 05 बजकर 26 मिनट तक है.