आज है तुलसी विवाह तथा देवउठनी एकादशी, जानिए कब है प्रदोष व्रत...
हिन्दी पंचांग के अनुसार, आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| हिन्दी पंचांग के अनुसार, आज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है। आज अंग्रेजी कैलेंडर के नंवबर माह का चौथा सप्ताह प्रारंभ हुआ है। इस सप्ताह में आंवला नवमी या अक्षय नवमी, तुलसी विवाह, देवउठनी एकादशी, प्रदोष जैसे व्रत एवं त्योहार आने वाले हैं। आइए जानते हैं कि ये प्रमुख व्रत एवं त्योहर इस सप्ताह में कब और किस दिन पड़ेंगे।
नवंबर के चौथे सप्ताह के व्रत एवं त्योहार:
देवउठनी एकादशी: 25 नवंबर, दिन बुधवार
देवउठनी एकादशी 2020: हिन्दी पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी होती है। इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा से बाहर आते हैं और सृष्टि के पालनहार का दायित्व संभालते हैं। देवउठनी एकादशी से चतुर्मास का समापन होता है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव-शयन एकादशी कहा जाता है, इस दिन ही भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। देवउठनी एकादशी एक साल 25 नवंबर दिन बुधवार को है। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु तथा माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
तुलसी विवाह: 25 नवंबर, दिन बुधवार
तुलसी विवाह 2020: इस वर्ष तुलसी विवाह 25 नवंबर दिन बुधवार को है। यह हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है। तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी के दिन ही होता है। तुलसी विवाह के दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया जाता है। आज के दिन तुलसी, शालिग्राम तथा गणेश जी की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी विवाह का आयोजन करने पर एक कन्या दान के बराबर पुण्य प्राप्त होता है।
शुक्र प्रदोष व्रत: 27 नवंबर, दिन शुक्रवार
शुक्र प्रदोष व्रत 2020: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत इस बार 27 नवंबर दिन शुक्रवार को है। हर मास की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष होता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा विधि विधान से की जाती है। प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति की आयु बढ़ती है, संतान प्राप्ति तथा सुख-समृद्धि के लिए भी किया जाता है।
जो बीत गया
आंवला नवमी या अक्षय नवमी: 23 नवंबर, दिन सोमवार
आंवला नवमी: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या अक्षय नवमी कहा जाता है। आंवला नवमी आज है। आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक शुक्ल नवमी से पूर्णिमा तक भगवान विष्णु का वास आंवले के वृक्ष पर होता है। इस वजह से आंवला नवमी के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा होती है। वहीं, अक्षय नवमी के दिन स्नान, तर्पण, अन्न दान तथा पूजा आदि करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।