आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है,जानें पूजा ​विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं आरती के बारे में

आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं

Update: 2022-04-07 01:35 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है. आज मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा विधिपूर्वक करते हैं. जब तीनों लोकों में महिषासुर का अत्याचार बढ़ गया था, तब मां दुर्गा कात्यायन ऋषि की पुत्री के रूप में प्रकट हुईं. इस वजह से इनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा. इनको युद्ध की देवी मानते हैं. देवी कात्यायनी सिंह पर सवार होती हैं और इनकी चार भुजाएं हैं. ये अपनी एक भुजा में तलवार तो एक भुजा में कमल धारण करती हैं, जबकि अन्य दो भुजाएं वरदमुद्रा में होती हैं. सफेद फूलों की माला से इनका गला सुशोभित होता है. मां कात्यायनी की पूजा गोधूली वेला में करनी चाहिए. आइए जानते हैं मां कात्यायनी की पूजा ​विधि, मंत्र, मुहूर्त एवं आरती के बारे में.

मां कात्यायनी पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 06 अप्रैल दिन बुधवार को शाम 06 बजकर 01 मिनट पर शुरु हुआ और इसका समापन आज 07 अप्रैल दिन गुरुवार को रात 08 बजकर 32 मिनट तक है. ऐसे में देवी कात्यायनी की पूजा आज की जाएगी.
आज सौभाग्य योग सुबह 09 बजकर 32 मिनट तक है, उसके बाद से शोभन योग शुरु हो जाएगा, वहीं रवि योग सुबह 06 बजकर 05 मिनट से लेकर रात 10 बजकर 42 मिनट तक रहेगा.
देवी कात्यायनी की पूजा विधि
आज आप शुभ मुहूर्त में देवी कात्यायनी की पूजा पीले फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, कुमकुम आदि से करते हैं. फिर उनको शहद का भोग लगाते हैं. ऐसा करने से प्रभाव एवं यश में वृद्धि होती है. माता को पीले फूल एवं हल्दी अर्पित करने से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं. जिनके विवाह में किसी प्रकार की देरी हो रही है, तो उनको भी देवी कात्यायनी की पूजा करनी चाहिए. नीचे देवी कात्यायनी के मंत्र एवं आरती दिए गए हैं, पूजा में इनका उपयोग करें.

देवी कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

देवी कात्यायनी का पूजा मंत्र
मां देवी कात्यायन्यै नम

देवी कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।

बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।।

कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।।

हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।।

हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।।

कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।।

बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।।

हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।।

जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।


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