आज है साल का पहला प्रदोष व्रत, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

कहा जाता है कि नि:संतान दंपति अगर शनि प्रदोष (Shani Pradosh) का विधिवत व्रत रखें तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. शनि प्रदोष का व्रत हर मनोकामना को पूरा करने वाला है. साथ ही व्यक्ति को जीवन में अभीष्ट फल देने वाला माना जाता है. साल 2022 का पहला प्रदोष व्रत आज 15 को रखा जाएगा. यहां जानिए इस व्रत से जुड़ी जरूरी जानकारी

Update: 2022-01-15 06:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रदोष (Pradosh) का व्रत महादेव को समर्पित होता है. एकादशी की तरह ये व्रत भी महीने में दो बार आता है. इसे हर माह की ​त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. सप्ताह के दिन के हिसाब से इसके अलग अलग नाम और महत्व होते हैं. साल का पहला प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat) इस बार शनिवार के दिन पड़ रहा है. इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि नि:संतान दंपति अगर शनि प्रदोष (Shani Pradosh) का विधिवत व्रत रखें तो उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. शनि प्रदोष का व्रत हर मनोकामना को पूरा करने वाला है. साथ ही व्यक्ति को जीवन में अभीष्ट फल देने वाला माना जाता है. साल 2022 का पहला प्रदोष व्रत आज 15 को रखा जाएगा. यहां जानिए इस व्रत से जुड़ी जरूरी जानकारी.

पूजा का शुभ मुहूर्त
पौष शुक्ल त्रयोदशी शुरू : 14 जनवरी को रात 10:19 बजे पौष शुक्ल त्रयोदशी समाप्‍त : 16 जनवरी सुबह 12:57 बजे पूजा के लिए शुभ समय : शाम 05:46 से रात 08:28 बजे तक
प्रदोष व्रत पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और भगवान शिव और उनके परिवार की फोटो के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद दिन भर व्रत रखें और मन में महादेव का ध्यान करें. शाम को प्रदोष काल के समय पूजा के स्थान को गंगाजल छिड़ककर साफ करें. एक चौकी बिछाएं और इस पर साफ वस्त्र बिछाकर शिव परिवार की तस्वीर रखें. भगवान श‍िव का गंगा जल से अभिषेक करें. उन्हें बेल पत्र, आक के फूल, धतूरा, चंदन, धूप और दीप आदि अर्पित करें. इसके बाद शिव मंत्रों का जाप करें. शनि प्रदोष व्रत कथा पढ़ें और इसके बाद आरती करें. भगवान को प्रेमपूर्वक भोग लगाएं और उनसे गलतियों और पूजा में हुई भूलचूक की क्षमा मांगें. इसके बाद शनिदेव के नाम का दीपक जलाकर पीपल के वृक्ष के नीचे रखें. फिर प्रसाद का वितरण करें.
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
शास्त्रों में प्रदोष के व्रत को श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है. ये व्रत महादेव को अत्यंत प्रिय है और हर मनोकामना को पूर्ण करता है. इस व्रत को रखने वाले को लंबी आयु, सौभाग्य, पुत्र रत्न धन, वैभव आदि सब कुछ प्राप्त होता है. शनिवार के प्रदोष व्रत के दिन शनिदेव की भी पूजा करनी चाहिए. इससे शनि संबन्धी कष्ट दूर होते हैं.


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