आज भगवान वरूण की पूजा का दिन,इन कामों को करने से मिलेगी सफलता
30 मार्च, बुधवार को चैत्र के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। तिथि-नक्षत्र के इस शुभ संयोग पर वारूणी पर्व मनाया जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 30 मार्च, बुधवार को चैत्र के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी और शतभिषा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। तिथि-नक्षत्र के इस शुभ संयोग पर वारूणी पर्व मनाया जाता है। इस दिन जल के देवता यानी वरूण देव की पूजा की जाती है। धर्मसिंधु ग्रंथ के मुताबिक इस पर्व पर तीर्थ स्नान और दान के साथ भगवान शिव की पूजा की भी परंपरा है। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं और कई यज्ञ करने जितना पुण्य फल मिलता है।
वारुणी पर्व: भगवान वरूण की पूजा का दिन
चैत्र महीने के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी पर वारुणी पर्व होता है। ये पुण्य देने वाला पवित्र पर्व है। इस दिन भगवान वरुण यानी सभी तीर्थों, नदियों, सागरों, कुओं और ट्यूबेल की विशेष पूजा की जाती है। ऐसा करते हुए वरुण भगवान से प्रार्थना की जाती है कि गर्मियों में भी हमारे जलस्त्रोतों में पानी की कमी न रहे। इस दिन तीर्थों में गङ्गा स्न्नान और दान करने से कई सूर्यग्रहण में दिए दान के जितना फल मिलता है।
पुराणों में वारूणी पर्व
इस दिन के बारे में पुराणों में कहा गया है कि चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शतभिषा नक्षत्र और शनिवार का संयोग होने से महावारूणी पर्व होता है। भविष्य पुराण के मुताबिक इस पर्व पर किया गया स्नान-दान और श्राद्ध अक्षय पुण्य देने वाला होता है। यानी इसका पुण्य कभी खत्म नहीं होता। वहीं, देवी भागवत, नारद और स्कंद पुराण में भी इस पर्व का महत्व बताया गया है।
प्रदोष और वारूणी योग
त्रयोदशी तिथि यानी प्रदोष होने से इस शुभ संयोग में शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर बिल्वपत्र और मदार के फूल चढ़ाएं। इसके साथ ऋतुफल यानी मौसम के मुताबिक फल चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग के पास बैठकर ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करने से कामकाज में आ रही हर तरह की रूकावटें दूर हो जाती है और सोचे हुए काम भी पूरे होते हैं।
घर पर ही तीर्थ के जल से करें स्नान
वारुणी योग में गंगा, यमुना, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का बड़ा महत्व है। इस शुभ योग में हरिद्वार, इलाहाबाद, वाराणसी, उज्जैन, रामेश्वरम, नासिक आदि तीर्थों पर नदियों में नहा के भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे हर तरह के सुख मिलते हैं।
वारुणी योग में भगवान शिव की पूजा से मोक्ष मिलता है। इस दिन मंत्र जप, यज्ञ, करने का बड़ा महत्व है। पुराणों में कहा गया है कि इस दिन किए गए दान का फल हजारों यज्ञों के जितना मिलता है। अगर पवित्र नदियों में नहीं नहा सके तो घर में ही पवित्र नदियों का पानी डालकर नहाएं।
शुभ मुहूर्त: इन कामों को करने से मिलेगी सफलता
1. औषधि सेवन के लिए दिन शुभ रहेगा। किसी विवाद के समझौते के लिए ये दिन अच्छा रहेगा। साथ ही चुनाव प्रचार के लिए भी शुभ दिन है।
2. किसी व्यावसायिक विज्ञापन या प्रचार-प्रसार के लिए ये दिन शुभ माना जाता है। इस दिन खरीदी-बिक्री, बिजनेस, कृषि कार्य और यात्रा में सफलता मिलती है।
3. वारुणी योग में शिक्षा संबंधित कामों की शुरुआत की जा सकती है। पढ़ाई, ट्रैनिंग या कोई कोर्स शुरू करने पर उसमें सफलता मिलती है।
4. नए बिजनेस की शुरुआत के लिए भी वारुणी योग शुभ माना गया है। इसमें शुरू किए गए कामों में असफलता नहीं मिलती है।
5. इस शुभ योग में नए प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर सकते हैं। इस दिन नया मकान, दुकान, प्लॉट खरीदना भी शुभ रहता है।