आज है कालाष्टमी, जाने शुभ मुहूर्त और महत्व

आज कालाष्टमी के दिन भगवान शिव के पांचवे अवतार कालभैरव की पूजा होती है.

Update: 2021-07-01 10:18 GMT

आज कालाष्टमी (Kalashtami) के दिन भगवान शिव के पांचवे अवतार कालभैरव की पूजा होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का व्रत किया जाता है. इस दिन को भैरवाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन भगावन शिव के रूद्र स्वरूप कालभैरव की पूजा होती है. इन्हें काशी का कोतवाल भी कहा जाता हैं. भक्त भगवान कालभैरव के सौम्य स्वरूप बटुक भैरव की पूजा- अर्चना करते हैं. इस दिन पूजा करने से भय, नकारात्मक शक्तियां और शत्रुओं से छुटकारा मिलता है. आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि

कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त
कालाष्टमी की अष्टमी तिथि प्रारंभ- दोपहर 02 बजकर 01 मिनट पर
कालाष्टमी समाप्त – 2 जुलाई 2021 को दोपक 03 बजकर 28 मिनट पर होगा.
कालाष्टमी महत्व
कालाष्टमी के दिन भगवान कालभैरव की पूजा अर्चना की जाती हैं. इस दिन पूजा- पाठ करने से व्यक्ति को भय, ग्रह दोष और संकट से मुक्ति मिलती है. इस दिन पूजा और उपवास करने से आपकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है.
कालाष्टमी पूजा विधि
कालाष्टमी के दिन सुबह- सुबह उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूजा के स्थान को साफ कर भगवान की मूर्ति स्थापित कर दीप प्रजवलित करें. इस दिन भगवान कालभैरव के साथ भगवान शिव की भी पूजा अर्चना करें. इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और रात को भगवान कालभैरव की पूजा करते हैं. भगवान को धूप, काले तिल, उड़द और सरसों का तेल चढ़ाएं. इसके अलावा हलवा, मीठी पूरी और जलेबी आदि का भोग लगाएं. इसके बादा काल भैरव चालीसा का पाठ करें और पूजा होने के बाद आरती करें.
कालाष्टमी के उपाय
कालभैरव का अर्थ होता है जिसे काल भी भयभीत हो जाएं , इसलिए इनके हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होने के कारण इन्हें दंडपाणि भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि भैरव शब्द में ब्रह्मा, विष्णु और महेष की शक्ति समाहित होती है. कालिका पुराण के अनुसार, कालभैरव भगवान की सवारी श्वान है इसलिए इस दिन काले कुत्ते को मीठी रोटी खिलाने से लाभ मिलता है. इससे आपके आस-पास नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है. साथ ही आर्थिक तंगी से भी छुटकारा मिलता है.


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