जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के चौथे दिन यानि चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi) मनाई जाती है। जी हाँ और इसे बहुला चौथ के नाम से भी जाना जाता है। आप सभी को बता दें कि इस दिन संकष्टी चतुर्थी भी मनाई जाती है। जी दरअसल इस साल बहुला चतुर्थी आज 15 अगस्त सोमवार को मनाई जा रही है। आपको बता दें कि आज के दिन संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। अब आज हम आपको बताने जा रहे हैं बहुला चतुर्थी की कथा।
बहुला चतुर्थी की कथा- पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण अवतार लिया तो देवी देवताओं की उनकी सेवा की इच्छा हुई। इससे श्रीकृष्ण लीला में शामिल होने के लिए देवी देवताओं ने गोप-गोपिकाओं का अवतार ले लिया। इधर कामधेनु गाय अपने अंश से बहुला नाम की गाय को उत्पन्न कर नंदजी की गौशाला में आ गई। बहुला पर श्रीकृष्ण का अपार स्नेह था। एक बार भगवान की बहुला गाय की परीक्षा लेने की इच्छा हुई और वे शेर बनकर बहुला के सामने आ गए। पहले तो बहुला घबराई
बाद में शेर से प्रार्थना की कि हे वनराज मेरा बछड़ा भूखा है, मैं अपने बछड़े को दूध पिलाकर आपका आहार बनने के लिए वापस आ जाऊंगी। शेर ने बहुला को जाने दिया इस पर शेर ने कहा, मैं तुम्हे कैसे जाने दूं, अगर तुम नहीं आई तो मैं भूखा ही रह जाऊंगा। इस पर बहुला गाय ने सत्य और धर्म की शपथ ली। तब शेर का रूप धारण किए श्रीकृष्ण ने बहुला गाय को जाने दिय।
बहुला गाय अपने बछड़े को दूध पिलाकर शेर का निवाला बनने वन में आ गई। बहुला की सत्यनिष्ठा से श्रीकृष्ण प्रसन्न हुए और अपने वास्तविक स्वरूप में आ गए। साथ ही कहा, हे बहुला! तुम परीक्षा में सफल हुई। अब से भाद्रपद की चतुर्थी तिथि को तुम्हारी गौ माता के रूप में पूजा होगी। वे भक्त जो तुम्हारी पूजा करेंगे, उन्हें धन और संतान सुख की प्राप्ति होगी।