आज हैं आमलकी एकादशी, जानिए पूजा व्रत पारण का शुभ मुहूर्त

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं।

Update: 2021-03-25 00:53 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेसक | फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी एकादशी कहते हैं। इसे एकादशी तिथि को आंवला और रंगभरनी एकादशी भी कहा जाता है। इस साल आमलकी एकादशी की तारीख को लेकर लोगों के बीच कंफ्यूजन है। कुछ लोगों का मत है कि एकादशी का व्रत 24 मार्च को रखा जाएगा, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि 25 मार्च को एकादशी है। अगर आप भी आमलकी एकादशी की तारीख को लेकर संदेह में हैं तो जानिए यहां सही डेट-

आमलकी एकादशी कब है?
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, एकादशी व्रत हमेशा उदया तिथि में रखा जाता है। 24 मार्च की सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक दशमी उसके बाद एकादशी तिथि लगेगी। जो कि 25 मार्च की सुबह 09 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि लग जाएगी। ऐसे में 25 मार्च को उदया तिथि में एकादशी व्रत रखा जाएगा।
आमलकी एकादशी 2021 शुभ मुहूर्त-
एकादशी व्रत पारण का समय – 26 मार्च को सुबह 06:18 बजे से 08:21 बजे तक।
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक।
अमृत काल - रात 09 बजकर 13 मिनट से रात 10 बजकर 48 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 53 मिनट से सुबह 05 बजकर 41 मिनट तक।
आमलकी एकादशी व्रत कथा-
प्राचीन काल में चित्रसेन नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में एकादशी व्रत का बहुत महत्व था और सभी प्रजाजन एकादशी का व्रत करते थे। वहीं राजा की आमलकी एकादशी के प्रति बहुत श्रद्धा थी। एक दिन राजा शिकार करते हुए जंगल में बहुत दूर निकल गये। तभी कुछ जंगली और पहाड़ी डाकुओं ने राजा को घेर लिया। इसके बाद डाकुओं ने शस्त्रों से राजा पर हमला कर दिया। मगर देव कृपा से राजा पर जो भी शस्त्र चलाए जाते वो पुष्प में बदल जाते।
डाकुओं की संख्या अधिक होने से राजा संज्ञाहीन होकर धरती पर गिर गए। तभी राजा के शरीर से एक दिव्य शक्ति प्रकट हुई और समस्त राक्षसों को मारकर अदृश्य हो गई। जब राजा की चेतना लौटी तो, उसने सभी राक्षसों का मरा हुआ पाया। यह देख राजा को आश्चर्य हुआ कि इन डाकुओं को किसने मारा? तभी आकाशवाणी हुई- हे राजन! यह सब राक्षस तुम्हारे आमलकी एकादशी का व्रत करने के प्रभाव से मारे गए हैं। तुम्हारी देह से उत्पन्न आमलकी एकादशी की वैष्णवी शक्ति ने इनका संहार किया है। इन्हें मारकर वहां पुन: तुम्हारे शरीर में प्रवेश कर गई। यह सुनकर राजा प्रसन्न हुआ और वापस लौटकर राज्य में सबको एकादशी का महत्व बतलाया।


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