आज पूजा के दौरान महादेव को जरूर अर्पित करें उनकी ये पसंदीदा चीजें

आज 11 मार्च को देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है. ये दिन महादेव की पूजा का विशेष दिन माना जाता है. मान्यता है

Update: 2021-03-11 04:15 GMT

आज 11 मार्च को देशभर में महाशिवरात्रि (Mahashivratri) का पर्व मनाया जा रहा है. ये दिन महादेव की पूजा का विशेष दिन माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन माता पार्वती के साथ उनका विवाह हुआ था, इसलिए ये दिन महादेव और मां पार्वती दोनों को अतिप्रिय है. आज के दिन यदि महादेव के भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा अर्चना करें तो वे अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनचाही मुराद पूरी करते हैं. अगर आपने भी आज भोलेनाथ के लिए महाशिवरात्रि का व्रत रखा है तो उनकी इन प्रिय चीजों को अर्पित करना न भूलें.

जल : महादेव की पूजा के दौरान उनका जलाभिषेक जरूर करना चाहिए. कहा जाता है कि जब महादेव ने समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल को पी लिया था तो उसकी जलन से वे बुरी तरह व्याकुल हो गए थे. उनका कंठ भी इसके प्रभाव से नीला पड़ गया था. तब उस जलन को शांत करने के लिए देवी-देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया था, जिससे उन्हें शांति मिली थी. इसलिए महादेव पर जब भी जलाभिषेक किया जाता है, तो वे अति प्रसन्न होते हैं.
बेलपत्र : बेलपत्र को महादेव के तीन नेत्रों का प्रतीक माना जाता है. बेलपत्र महादेव को अत्यंत प्रिय है. जब भी बेलपत्र चढ़ाएं तो इस पर चंदन से ओम नमः शिवाय लिखें. मान्यता है कि बेलपत्र चढ़ाने से कन्यादान के समान फल प्राप्त होता है.

धतूरा : शिव जी पर धतूरा भी चढ़ाया जाता है. मान्यता है कि जब शिव जी ने सागर मंथन से निकले हलाहल विष को पी लिया तब उनकी व्याकुलता शांत करने के लिए जो चीजें अर्पित की गईं, उनमें से एक धतूरा भी था.
अक्षत : चावल को अक्षत कहा जाता है. अक्षत का अर्थ है जो टूटा न हो. महादेव को अक्षत अत्यंत प्रिय है, इसके बगैर उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. अगर पूजा के दौरान कोई सामग्री कम पड़ जाए तो उसके स्थान पर अक्षत चढ़ाए जा सकते हैं.

चंदन : चंदन दिमाग को शीतलता प्रदान करता है और शांत रखता है. महादेव अपने मस्तक पर चंदन का त्रिपुंड लगाते हैं. इसलिए महादेव की पूजा में चंदन का प्रयोग जरूर किया जाना चाहिए.
रुद्राक्ष : महादेव की पूजा में किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से किया जाना चाहिए. मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति महादेव के अश्रुओं से हुई है.


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