आज दत्तात्रेय जयंती, जानिए कौन हैं भगवान दत्तात्रेय...पढ़ें ये कथा
हिंदी पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है, जो इस वर्ष आज 29 दिसंबर दिन मंगलवार को है।
जनता से रिश्ता वेबडेसक| हिंदी पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा तिथि को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है, जो इस वर्ष आज 29 दिसंबर दिन मंगलवार को है। आज पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ सुबह 07 बजकर 54 मिनट पर हो रहा है, जो कल 30 दिसंबर को सुबह 08 बजकर 57 मिनट तक होगा। आज के दिन तीनों भगवान शिव, विष्णु एवं ब्रह्मा जी के स्वरुप दत्तात्रेय जी का विधि विधान से पूजा की जाती है। भगवान दत्तात्रेय त्रिमूर्ति कहलाते हैं। इन्होंने पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में अवतार लिया था।
कौन हैं भगवान दत्तात्रेय?
एक समय की बात है। नारद जी ने पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी को अत्रि महामुनि की पत्नी अनसूया के महान पतिव्रता धर्म के बारे में बताया। जिसे सुनकर उन तीनों देवियों को ईर्ष्या होने लगी। उन लोगों ने क्रमश: भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा जी को अनसूया के पतिव्रता धर्म को भंग करने के लिए भेजा।
ऐसे में तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश साधु का रुप धारण कर अत्रि मुनि के आश्रम में पहुंचे। माता अनसूया ने उन तीनों को प्रणाम किया और उनके लिए भोजन का प्रबंध किया। उन तीनों देवताओं ने कहा कि वे तभी भोजन स्वीकार करेंगे, जब वे निर्वस्त्र होकर भोजन परोसेंगी। यह बात सुनकर अनसूया ने कहा कि आपकी जैसी इच्छा। उन्होंने अपने तप की शक्ति से तीनों देवताओं को शिशु में परिवर्तित कर दिया।
अब अनसूया के मन में वात्सल्य का भाव उमड़ पड़ा। उन्होंने शिशु बने उन तीनों देवताओं को दूध और भात खिलाया। फिर उनको पालने में सुला दिया। काफी समय बीतने के बाद ये तीनों देवता लौटकर अपने धाम नहीं पहुंचे तो माता पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी व्याकुल होने लगीं। इस दौरान नारद जी ने पूरी घटना उन तीनों माताओं को बताई।
माता पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती अनसूया के पास गईं और उनसे तीनों देवताओं को वापस लौटाने की बात करने लगीं। तब अनसूया ने कहा कि आप जिनकी बात कर रही हैं, वे तीनों यहां शिशु स्वरुप में सो रहे हैं। तीनों ही देखने में एक जैसे थे। अनसूया ने कहा कि आप अपने पति को पहचानती हैं, तो उनको आप उठा लें। माता पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी ने एक शिशु उठा लिया। तब बह्मा, विष्णु और शिव जी अपने वास्तविक स्वरुप में आए, तो पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती जी ज्ञात हुआ कि उन्होंने तो गलत चयन कर लिया। पार्वती ने विष्णु, सरस्वती ने शिव और लक्ष्मी जी ने ब्रह्मा जी को उठाया था। वे तीनों माताएं लज्जित हो गईं। तभी बह्मा, विष्णु और शिव जी ने वहां पर भगवान दत्तात्रेय का अवतार लिया।