शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनि स्तोत्र का पाठ करें,जानें शनि स्तोत्र पाठ की विधि

आज शनिवार का दिन कर्मफलदाता शनि देव की पूजा-अर्चना के लिए है

Update: 2022-03-19 03:20 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज शनिवार का दिन कर्मफलदाता शनि देव की पूजा-अर्चना (Shani Dev Ki Puja) के लिए है. आज आप शनि देव को प्रसन्न करने के लिए व्रत (Shanivar Vrat) रखते हैं, उनसे जुड़ी वस्तुओं का दान करते हैं, नीले फूल, सरसों के तेल, तिल के तेल, काले या नीले वस्त्र विशेष रुप से अर्पित करते हैं. इतना ही नहीं, गरीब, असहाय, रोगी और जरुरतमंद लोगों की मदद करते हैं, ताकि शनि देव की कृपा प्राप्त हो. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए आप शनि स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं. यह एक ऐसा उपाय है, जिससे शनि देव अवश्य प्रसन्न हो सकते हैं क्योंकि इस शनि स्तोत्र की रचना राजा दशरथ ने शनि देव को प्रसन्न करने के लिए ही की था. प्रसन्न होने के बाद शनि देव अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. आइए जानते हैं शनि स्तोत्र के बारे में.

शनि स्तोत्र
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम:।।

नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।।

नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम:।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।।

नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम:।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।।

नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च।।

अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते।।

तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम:।।

ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा:।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।

प्रसाद कुरु मे सौरे वारदो भव भास्करे।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल:।।
शनि स्तोत्र पाठ की विधि
आज सुबह स्नान के बाद किसी शनि मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा अर्चना करें. उसके बाद मंदिर में एक आसान पर बैठकर पूरे मन से शनि स्तोत्र का पाठ प्रारंभ करें. शनि देव की तस्वीर या मूर्ति घर में नहीं रखते हैं, इसलिए आप मंदिर में जाकर पूजा करें. शनि स्तोत्र के बाद शनि देव की आरती विधिपूर्वक करें. शनि स्तोत्र का पाठ करने के पश्चात कर्मफलदाता से अपनी मनोकामना व्यक्त करें.
इस बात का ध्यान रखें कि शनि देव की आंखों से आपकी आंखें न मिलें, शनि देव की दृष्टि जिस पर पड़ती है, उसकी बुरी दशा शुरु हो जाती है. इस वजह से शनि देव की आंखें नहीं देखते हैं.



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