पौष मास से शुरू करना चाहिए गुरुवार का व्रत, भगवान विष्णु की पूजा से संकट होते हैं दूर

अगर आप भी पहली बार गुरुवार का व्रत शुरू करना या रखना चाहते हैं इससे जुड़े कुछ आवश्यक नियम जान लें

Update: 2021-12-29 15:48 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. जिस प्रकार सोमवार का संबंध भगवान शिव से है. उसी प्रकार से गुरुवार संबंध बृहस्पति देव और भगवान विष्णु से है. गुरुवार का व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने पर सारे संकट दूर होते हैं. साथ ही दुख और विपत्ति हमेशा दूर रहते हैं. अगर आप भी पहली बार गुरुवार का व्रत शुरू करना या रखना चाहते हैं इससे जुड़े कुछ आवश्यक नियम जान लें.

पौष माह से शुरू करें गुरुवार का व्रत
पौष माह से गुरुवार व्रत शुरू करना अच्छा माना गया है. यदि इस मास में किसी गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग बने तो और भी अच्छा होता है. इसके अलावा किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से भी व्रत शुरू करना अच्छा माना गया है. शास्त्रों के मुताबिक इस व्रत लगातार 16 गुरुवार तक विधिवत रखना शुभ होता है.
न करें केले का सेवन
गुरुवार व्रत के दौरान भगवान विष्णु की पूजा के बाद केले का सेवन निषेध माना गया है. ऐसे में भूलकर भी इसका सेवन से बचना होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि केले के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है. गुरुवार के दिन केले के पेड़ में जल देना शुभ होता है.
पीली चीजों का दान
गुरुवार व्रत के दौरान गुड़, पीला कपड़ा, चने की दाल और केला भगवान विष्णु को अर्पित करने के बाद गरीबों के बीच बांटना चाहिए. मान्यता है कि ऐसा करने से विष्णुदेव की कृपा बनी रहती है.
बाल और नाखून को न काटें
जो कोई भी गुरुवार का व्रत रखता है उसे इस दिन बाल और नाखून नहीं काटना चाहिए. गुरुवार के दिन ऐसा करने से कुंडली का बृहस्पति ग्रह कमजोर होता है. जिससे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. धर्म शास्त्रों के मुताबिक महिलाओं को भी इस दिन बाल और कपड़े धोने चाहिए


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