हिंदू धर्म में सावन के महीने को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि शिव शंकर की आराधना को समर्पित होता हैं इस माह भक्त भोलेनाथ की विधिवत पूजा करते हैं माना जाता हैं कि श्रावण मास में पड़ने वाला सोमवार शिव पूजा के लिए उत्तम समय होता हैं ठीक इसी तरह सावन में पड़ने वाले मंगलवार का भी अपना महत्व होता हैं जो कि देवी गौरी की पूजा को समर्पित किया गया हैं।
श्रावण मास में पड़ने वाले मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत पूजन किया जाता हैं इस बार सावन के पहले दिन यानी आज 4 जुलाई को ही मंगला गौरी का व्रत पड़ हैं ऐसे में अगर आप ने भी इस व्रत को किया हैं और देवी मां की कृपा व आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो मंगला गौरी व्रत पूजन से जुड़े कुछ नियमों का पालन जरूर करें, तो आज हम आपको अपने इस लेख दवारा उन्हीं नियमों के बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मंगला गौरी व्रत के नियम-
आपको बता दें कि अगर आपने मंगला गौरी का व्रत किया हैं तो ऐसे में व्रती को भूलकर भी क्रोध नहीं करना चाहिए और ना ही किसी को अपशब्द कहना चाहिए। ऐसा करना अच्छा नहीं माना जाता हैं। इसके अलावा इस व्रत में साफ सफाई और शुद्धता का भी ध्यान रखना जरूरी होता हैं। अगर आप सालों से मंगला गौरी का व्रत कर रहे हैं और इसे छोड़ना चाहते हैं तो इसके लिए आप श्रावण मास के आखिरी मंगलवार के दिन ही इस व्रत का उद्यापन जरूर करें।
माना जाता हैं कि बिना उद्यापन के व्रत पूर्ण नहीं होता हैं। लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि अगर आप इस व्रत का उद्यापन कर रहे हैं तो कम से कम पांच मंगला गौरी व्रत जरूर करें। इसके बाद ही इस व्रत को छोड़ें। इस व्रत में पूजन की सभी सामग्रियों की संख्या 16 होनी चाहिए। इन सभी सामग्रियों को देवी मां को अर्पित करें माना जाता हैं कि ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और अपनी कृपा करती हैं।