इस वर्ष 2024 में कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा करते समय यह उपाय जरूर करें, दूर होंगे जीवन के सारे संकट

Update: 2024-06-24 13:08 GMT

कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव की पूजा विधि :- Method of worship of Lord Kala Bhairava on Kalashtami

प्रति माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है The festival of Ashtami is celebrated. इस बार 28 जून 2024 को काला अष्टमी पर्व मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक ने लोकल18 से कहा कि काला अष्टमी पर्व भगवान काल भैरव को समर्पित है.
मान्यता के अनुसार According to the recognition
 काल भैरव की विधिवत उपासना एवं पूजन करने से सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है. तो आईए जानते हैं कि कालाष्टमी के दिन क्या उपाय करने से धन की प्राप्ति के साथ जीवन सुखमय होता है?. इसके अलावा जानिए काला अष्टमी का शुभ मुहूर्त कब है.
वैदिक पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि Ashtami date of Krishna Paksha of Ashad month को कालाष्टमी मनाई जाएगी. कालाष्टमी की शुरुआत 28 जून को दोपहर 4:30 मिनिट से होगी. इसका समापन अगले दिन यानी 29 जून को दोपहर 2:15 मिनिट पर होगा. ऐसे में कालाष्टमी का व्रत 28 जून को रखा जाएगा. वैदिक ज्योतिष के अनुसार दिन की शुरुआत उदयातिथि के अनुसार मानी जाती है.
कालाष्टमी के दिन धन जैसी समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त A person should first observe Brahma Muhurta में उठकर किसी पवित्र नदी या जल से स्नान करने के बाद, काल भैरव की सच्चे मन से विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए. मान्यता के अनुसार इस उपाय को करने से धन लाभ की योग बनते हैं. ऐसे व्यक्ति पर कभी भी आर्थिक संकट जैसी समस्या नहीं बनती है. इसके साथ ही श्रद्धा पूर्व के पूजन करने के बाद उन्हें मीठी रोटी का भोग लगाएं.
का करें जप
पूजा के समय दीपक जलाएं. भगवान काल भैरव की पूजा करें Worship Lord Kala Bhairava. इस उपाय को करने से घर में बनी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी. इससे सुख समृद्धि में वृद्धि होगी. इस दिन काल भैरव के मंदिर में जाकर कपूर और काजल का दान जरूर करना चाहिए. ऐसा करने से इंसान को जीवन में सभी प्रकार के संकट से छुटकारा मिलता है.इन पूजा मंत्र का जप करें.ॐ ह्रीं वं भैरवाय नमः, ‘भैरवाय नमः’, ॐ बतुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बतुकाय हुं फट् स्वाहा, ॐ ह्रीं बगलामुखाय पंचास्य स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय मायामुखायै हुं फट् स्वाहा, भैरवाय नमस्कृतोऽस्तु भैरवाय स्वाहा.
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