सरसों के तेल और रोटी के इस उपाय से मिलेगी काल भैरव की कृपा, हर संकट होगा दूर

Update: 2022-11-10 02:24 GMT

भगवान शिव के कई रूपों में से एक रूप काल भैरव भी है. ये भगवान शिव का रुद्र रूप माने जाते हैं. हर साल मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव जयंती के रूप में मनाई जाती है. इसे भैरव जयंती, भैरव अष्टमी और कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि इस साल काल भैरव जंयती 16 नवंबर के दिन पड़ रही है. इस दिन काल भैरव की पूजा के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में कुछ उपायों को भी बताया गया है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन उपायों को करने से भैरवनाथ की कृपा प्राप्त होती है. काल भैरव भगवान शिव का ही रूद्र रूप हैं. काल भैरव जयंती के दिन विधिवत्त और श्रद्धापूर्वक पूजन करने से प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. मान्यता है कि काल भैरव की पूजा करने से भूत-प्रेत, नकारात्मक शक्तियां और ऊपरी बाधा आदि जैसी समस्याएं पास भी नहीं भटकतीं. शास्त्रों के अनुसार काल भैरव को भगवान शिव का पंचम अवतार माना जाता है. आइए जानें इस दौरान किन उपायों को करने से व्यक्ति को दुख,कष्ट और संकट सभी दूर हो जाते हैं.

काल भैरव जयंती मुहूर्त 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार काल भैरव जयंती मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष अष्टमी के दिन मनाई जाती है. इस बार अष्टमी तिथि का आरंभ 16 नवंबर 2022, बुधवार सुबह 05 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 17 नवंबर 2022, गुरुवार सुबह 07 बजकर 57 मिनट तक है.

इन उपायों को करने से प्रसन्न होंगे काल भैरव

मार्गशीर्ष अष्टमी तिथि के दिन काल भैरव की पूजा का विधान है. इस दिन शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए. इससे वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां दूर हो जाती हैं.

काल भैरव जयंती के दिन एक रोटी को सरसों के तेल में चुपड़कर किसी काले कुत्ते को खिला दें. इससे व्यक्ति का व्यक्तित्व मजबूत होता है. व्यक्ति अपने कार्यक्षेत्र में सही से कार्य कर पाता है.

 मार्गशीर्ष की अष्टमी तिथि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानदि करके स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद कुश के आसन पर बैठ जाएं और काल भैरव की विधिवत पूजा करें. इसके बाद पूजा के दौरान ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 5 माला जाप करें.

काल भैरव जयंती के दिन किसी भैरव मंदिर में जाकर उनकी प्रतिमा पर सिंदूर और तेल अर्पित करें. साथ ही, नारियल और जलेबी का भोग लगाने से काल भैरव प्रसन्न होते हैं.


Tags:    

Similar News

-->