यह एक चीज क्षणभर में राजा को बना देती है रंक, चाहकर भी नहीं पा सकते छुटकारा
आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन को लेकर कई बातों को विस्तार से बताया है। अगर व्यक्ति जीवन में अपार सफलता के साथ मान-सम्मान और सही रास्ते में चलना चाहता है
आचार्य चाणक्य ने मनुष्य के जीवन को लेकर कई बातों को विस्तार से बताया है। अगर व्यक्ति जीवन में अपार सफलता के साथ मान-सम्मान और सही रास्ते में चलना चाहता है तो चाणक्य की नीतियां काफी मददगार साबित हो सकती हैं। आचार्य चाणक्य ने मनुष्य जीवन के हर एक पहलू यानी जन्म से लेकर मृत्यु के बाद का वर्णन किया है। ऐसे ही आचार्य चाणक्य ने बताया है कि वह कौन सी एक चीज है जिसके ऊपर मनुष्य का पूरा जीवन निर्भर है।
श्लोक
रङ्कं करोति राजानं राजानं रङ्कमेव च।
धनिनं निर्धनं चैव निर्धनं धनिनं विधिः॥
भाग्य रंक को राजा और राजा को रंक बना देता है। इसी तरह धनी को निर्धन तथा निर्धन को धनी बना देता है।
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि व्यक्ति का भाग्य उसके जीवन का सबसे जरूरी हिस्सा है। क्योंकि आपको भाग्य में जो चीजें लिख दी गई है उसे आप चाहकर भी नहीं मिटा सकता है। फिर चाहे वह धनवान व्यक्ति हो या फिर निर्धन व्यक्ति।
आचार्य चाणक्य बताते हैं कि व्यक्ति का भाग्य तख्तापलट करने की क्षमता रखता है। उसके जीवन में ऐसी उथल-पुथल मचा सकता है जिसके बारे में उसने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। जिस तरह एक राजा शान-शौकत से तो रहता है लेकिन फिर भाग्य ऐसा पलटी मारता है कि उसे सड़क में लाकर खड़ा कर देता है। शान-शौकत तो छोड़िए खाने तक के लाले पड़ जाते है। वहीं दूसरी ओर कठिन मेहनत करने के बावजूद गरीब इंसान भरपेट खाना नहीं खा पाता है। लेकिन जब भाग्य अपना रंग दिखाता है तो उसे रंक से राजा बनाने में देर नहीं करता है। एक निर्धन व्यक्ति भी अचानक से धनवान बन जाता है।
आचार्य चाणक्य की इस श्लोक के माध्यम से कहा कि व्यक्ति को कभी भी अपने जमीर का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। फिर चाहे वो जिस भी पदवी में क्यों न हो। क्योंकि उसके द्वारा किए गए कर्म ही उसके भाग्य का निर्धारण करते हैं। इसलिए अगर व्यक्ति चाहता है कि आने वाले समय के साथ अगले जन्म में सुख भोगे तो इसके लिए आज के समय में उसे हमेशा कोमल हृदय वाला होना चाहिए।