जरूरी हैं शिव को चढ़ाने वाले फूलों से जुड़े नियमों की यह जानकारी

Update: 2023-06-29 16:36 GMT
हिन्दू धर्म में पूजा-पाठ का महत्व तो सभी जानते हैं और इनमें फूलों का इस्तेमाल भी बहुत किया जाता हैं। भगवान की भक्ति के लिए उन्हें फूल अर्पित किए जाते हैं। इस सावन के महीने में सभी शिव की भक्ति में लगे हुए हैं और उनकी पूजा में भी फूलों का इस्तेमाल किया जाता हैं। लेकिन शिव पूजन में फूलों से जुड़े कुछ नियम होते हैं जिनको जानना बहुत जरूरी हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।
- भगवान शिव को श्वेतार्क मदार अर्थात् सफ़ेद अकाव एवं बिल्वपत्र बहुत प्रिय है। श्रावण मास में भगवान शिव को सफ़ेद अकाव के फूल की माला अर्पित करने से विशेष लाभ होता है। इसके अतिरिक्त भगवान शंकर को नीला अकाव, कनेर, धतूरे का पुष्प, शिव कटास, अपराजिता के पुष्प, शमी पुष्प, शंखपुष्पी, चमेली, नागकेसर, नागचम्पा, खस, गूलर, पलाशम केसर, कमल आदि पुष्प भी प्रिय हैं।
- शिवजी की पूजा में कुछ पुष्पों का चढ़ाया जाना शास्त्रसम्मत नहीं है। वे हैं- कदम्ब, केवड़ा, केतकी, शिरीष, अनार, जूही आदि।
- पुष्प सदैव जिस अवस्था में खिलते हैं उसी अवस्था में अर्पित किए जाने चाहिए अर्थात् पुष्प का मुख आकाश की ओर होना चाहिए।
- दूर्वा सदैव अपने ओर करके अर्पित की जानी चाहिए एवं बिल्व पत्र सदैव नीचे मुख रखते हुए चढ़ाना चाहिए। पुष्प अर्पित करने से पूर्व उन्हें सूंघना नहीं चाहिए। कीड़े वाले पुष्प भगवान को अर्पित नहीं किए जाते। जिन पुष्पों में पैर छू गया हो ऐसे पुष्प भी भगवान को अर्पित नहीं किए जाते।
- भगवान को बासी पुष्प अर्पित नहीं किए जाते। शास्त्रानुसार माली के घर के फूलों को कभी बासी नहीं माना जाता, अत: माली से फूल लेते समय बासी पुष्प का विचार नहीं करना चाहिए।
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